महान सेनानी महाराणा प्रताप के संघर्षपूर्ण इतिहास को दबाया
- राजस्थान की राजस्थान की मुगलिया मनोवृत्ति की कांग्रेस सरकार का हिन्दूद्वेष जानिए ! यह सरकार विद्यार्थियों के सामने कौन-सा आदर्श प्रस्तुत करना चाहती है ?
- केंद्र सरकार को इस विषय में हस्तक्षेप कर यह असत्य इतिहास तुरंत हटाने के लिए राज्य सरकार से कहे और सत्य इतिहास जनता के सामने लाए !
- क्या क्रांतिकारियों और महापुरुषों का बार-बार अनादर करनेवाली तथा शत्रु को महान बतानेवाली स्वाभिमानशून्य कांग्रेस पार्टी राज्य चलानेयोग्य है ?
जयपुर – राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा १० की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में महान सेनानी महाराणा प्रताप का ‘कम साहसी सेनानायक’ उल्लेख कर अपमान किया है । इतना ही नहीं, उसने महाराणा प्रताप के संघर्ष का इतिहास भी छिपाया है ।
इस पुस्तक में एक पाठ है, ‘संघर्षकालीन भारत १२०६ ए.डी.-१७५७ ए.डी’ । इसमें लिखा है, ‘मेवाड के राजा महाराणा प्रताप में शत्रुतापूर्ण परिस्थिति में एक सेनानायक के रूप में साहस, समाज पर पकड और योजनाबद्धता की कभी थी ।’ यह पाठ, महाराणा प्रताप एवं मुगलवंश के क्रूर सुलतान राजा अकबर के बीच हल्दी घाटी में हुए युद्धपर आधारित है । इस पाठ में आगे कहा गया है कि मुगल सेना पर्वतीय क्षेत्र में युद्ध करने में कुशल नहीं थी, साथ ही मेवाड की सेना भी रणभूमिपर युद्ध करने में सक्षम नहीं थी ।
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महाराणा प्रताप के वंशजों द्वारा इसपर आपत्ति दर्शाई गई
महाराणा प्रताप के वंशज तथा मेवाड के पूर्ववर्ती शाही परिवार ने कांग्रेस सरकार के इस कृत्यपर तीव्र आपत्ति दर्शाई है । इस परिवार ने मांग की है कि राज्य शिक्षा विभाग ने अपनी पुस्तक में जो दावे किए हैं, उनके संदर्भ में उन्हें एक तो प्रमाण प्रस्तुत करने चाहिए अथवा इस आपत्तिजनक भाग को तुरंत हटा देना चाहिए । महाराणा प्रताप के एक वंशज लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने बताया कि पाठ्यपुस्तक से सत्य इतिहास को हटाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है । जो भाग हटाया गया है, वह अगली पीढी के लिए अत्यंत उपयुक्त था । पाठ्यक्रम में ३ वर्ष पूर्व ही बदलाव किया गया था, तो अब इतनी जल्दबाजी में उसमें बदलाव करने की क्या आवश्यकता थी ?
इससे पहले स्वतंत्रतावीर सावरकरजी के नाम से ‘वीर’ शब्द को भी हटाया गया था !
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही ६ महीने के अंदर अनेक पाठ्यपुस्तकों में बदलाव किए । सरकार ने १२वीं कक्षा की पुस्तक में समाहित स्वतंत्रतावीर सावरकरजी के नाम से ‘वीर’ शब्द हटा दिया था । (२५.६.२०२०)