‘गोवा इन्क्विजिशन’ का इतिहास लोगों को ज्ञात होने हेतु उसे पाठ्यक्रम में सम्मिलित करें ! – इतिहासप्रेमियों की मांग

फ्रेंच पत्रकार फ्रांसवा गोतिए निर्मित ‘गोवा इन्क्विजिशन’
विषय पर आधारित चित्र-प्रदर्शनी का ‘ऑनलाइन’ लोकार्पण

     पुणे (महाराष्ट्र) – फ्रेंच पत्रकार फ्रांसवा गोतिए ने ‘गोवा इन्क्विजिशन’ विषय पर आधारित चित्र-प्रदर्शनी एवं जालस्थल (वेबसाइट) बनाई गई है । ‘फैक्ट’ एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ३० मई को इस चित्र-प्रदर्शनी का ‘ऑनलाइन’ लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया । ‘इन्क्विजिशन’ अर्थात ‘धर्मसमीक्षण सभा’ के नाम पर गोवा में ईसाई मिशनरियों ने बलपूर्वक हिन्दुओं का धर्मांतरण किया । हिन्दुओं पर अमानुषिक अत्याचार किए गए । ‘गोवा इन्क्विजिशन’ का गुप्त रखा गया इतिहास अगली पीढी की समझ में आए, इसके लिए उसे पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाए । तथा इतिहास का साक्षी पुराने गोवा स्थित ‘हात कातरो खांब (स्तंभ)’ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए । कार्यक्रम में फ्रांसवा गोतिए, ‘गोवामुक्ति’ संघर्ष के क्रांतिकारी प्रभाकर वैद्य की पुत्री तथा लेखिका शेफाली वैद्य, गोवा के इतिहास शोधकर्ता प्रा. प्रजल साखरदांडे, साथ ही हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने उक्त मांगें कीं । ‘गोवा घटकराज्य दिवस’ के उपलक्ष्य में ये मांगें की गईं  । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के करकमलों द्वारा इस चित्र-प्रदर्शनी का ‘ऑनलाइन’ लोकार्पण किया गया ।

‘गोवा इन्क्विजिशन’ विषय पर आधारित चित्र-प्रदर्शनी का ‘ऑनलाइन’ लोकार्पण करते समय हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

‘गोवा इन्क्विजिशन’ हिन्दुओं का सबसे बडा नरसंहार ! – फ्रांसवा गोतिए

फ्रांसवा गोतिए

     बडा होकर मुझे मिशनरी बनना था; परंतु भारत आने के पश्‍चात हिन्दू धर्म में समाहित ज्ञान देखकर मेरी आंखें खुलीं । ‘गोवा इन्क्विजिशन’ के संदर्भ में पाठ्यपुस्तकों में कोई उल्लेख नहीं है; इसके विपरीत सेंट फ्रान्सिस जेेविएर्स तथा औरंगजेब जैसे लोगों का उदात्तीकरण किया जा रहा है । आज भी ईसाई मिशनरी भारत में बडी संख्या में धर्मांतरण कर रहे हैं । ‘गोवा इन्क्विजिशन’ हिन्दुओं का सबसे बडा नरसंहार था । अतः पोप को क्षमायाचना करनी चाहिए ।

अन्यथा इतिहास ‘हाईजैक’ होने का धोखा ! –  लेखिका शेफाली वैद्य

     अंग्रेजों की अपेक्षा पोर्तुगीजों का कार्यकाल अधिक क्रूरतापूर्ण था । उस समय गोवा के मंदिर ध्वस्त किए गए । हिन्दुओं पर अपनी प्रथा-परंपराओं का पालन करने पर प्रतिबंध लगाया गया । वयस्क लोग गीत-कथाओं के माध्यम से परिवार के बच्चों को यह इतिहास बताते हैं । अनेक बार, गोवा ‘इन्क्विजिशन’ का इतिहास क्रमिक पुस्तकों में अंतर्भूत कर इस संदर्भ में कोई संग्रहालय बनाने आदि की मांगें करने पर भी वैसा नहीं हो सका है । ऐतिहासिक घावों पर लेप लगाना चाहिए । ऐसा नहीं किया गया, तो कल कुछ लोग इन सभी बातों को हाईजैक करेंगे और भविष्य में ऐसा बताएंगे कि ‘ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था ।’

‘फ्री गोवा’ की देशद्रोही मांग का समर्थन करनेवालों के विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए ! – रमेश शिंदे

श्री. रमेश शिंदे

     अभी भी पुराने गोवा में ‘गोवा इन्क्विजिशन के समय के ‘हात कातरो खांब (स्तंभ)’ का अस्तित्व है; परंतु वह पूर्णतः उपेक्षित है । ‘हात कातरो खांब’ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाना चाहिए । भले ही पोर्तुगीजों का कार्यकाल समाप्त हो गया है; परंतु आज भी गोवा में कुछ देशद्रोही शक्तियां सक्रिय हैं । कुछ दिन पूर्व ‘फ्री गोवा’ (गोवा को भारत से अलग करें !) अभियान चलाया जा रहा था । एक विदेशी व्यक्ति यह अभियान चला रहा था; परंतु इस मांग के समर्थन में भारत के ४ सहस्र २०० नागरिकों ने हस्ताक्षर किए ।

लाखों लोगों तक विषय पहुंचा !

     इस कार्यक्रम का ‘फेसबुक’ एवं ‘यू-ट्यूब’ के माध्यम से सीधा प्रसारण किया गया । ‘फेसबुक’ के माध्यम से ७४ सहस्र २३६ लोगों तक यह विषय पहुंचा । २६ सहस्र से भी अधिक लोगों ने ‘फेसबुक’, तथा ७ सहस्र ७९६ लोगों ने ‘यू-ट्यूब’ के माध्यम से यह कार्यक्रम देखा ।