- देश के लाखों सिक्खों ने खालिस्तान का विरोध ही किया है । सहस्रों सिक्ख आज भारतीय सेना में देश के लिए लड रहे हैं तथा इससे पूर्व भी लडते आ रहे हैं । सभी सिक्ख खालिस्तान चाहते हैं, यह कहकर अकाल तख्त सिक्खों में अलगाववाद के विचार फैला रहा है, यह ध्यान में रखें !
- धर्मांध आक्रमणकारियों का प्रतिकार करने के लिए सिक्ख पंथ की स्थापना की गई थी । वह हिन्दू धर्म का ही एक भाग है; परंतु पाक के गोबेल्स प्रसार की बलि चढकर यह सत्य नकारने के कारण कट्टरतावादी सिक्ख अलग खालिस्तान की मांग कर रहे हैं । खालिस्तान की मांग करनेवालों को सत्य इतिहास बताकर उन्हें मूल धारा में लाना, यह सरकार के सामने बडी चुनौती होगी ।
- यदि स्वतंत्र खालिस्तान बन जाए, तो क्या वह एक दिन भी टिक पाएगा ? कश्मीर के समान पाकिस्तान तुरंत आक्रमण कर उस पर कब्जा कर लेगा, यह अकाल तख्त को ध्यान में क्यों नहीं आता ?
अमृतसर (पंजाब) – ‘यदि सरकार हमें खालिस्तान’ (सिक्खों के लिए स्वतंत्र ‘खालिस्तान’ राष्ट्र) दे, तो हमें और क्या चाहिए ? हम उसे स्वीकार कर लेंगे । प्रत्येक सिक्ख खालिस्तान चाहता है । यदि सिक्ख युवक ‘खालिस्तान’ के समर्थन में नारे लगा रहे हों, तो उसमें कुछ अनुचित नहीं है, ऐसा वक्तव्य अकाल तख्त के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने यहां एक पत्रकार परिषद में दिया है । यहां के स्वर्ण मंदिर से खालिस्तानी आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए ३६ वर्षों पूर्व अर्थात ६ जून १९८४ को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ क्रियान्वित किया था । उस पृष्ठभूमि पर वह बोल रहे थे ।
१. इस समय सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के (एस.जी.पी.सी.) अध्यक्ष गोबिंदसिंह लोंगोवाल ने कहा कि, यदि कोई भी हमें खालिस्तान देगा, तो हम उसे स्वीकारकर लेंगे । सिक्खों के ५ तख्तों में ‘अकाल तख्त’ सर्वोच्च पीठ है । कहा जा रहा है कि अकाल तख्त और एस.जी.पी.सी. दोनों ने एक साथ पहली बार स्वतंत्र ‘खालिस्तान’ की मांग का समर्थन किया है ।
२. ज्ञानी हरप्रीत सिंह और लोंगोवाल के वक्तव्य पर सिक्ख अलगाववादी और ‘दल खालसा’ संगठन के संस्थापक गजिंदर सिंह ने फेसबुक पर पोस्ट की है कि, अकाल तख्त के नेता ने उनकी अपनी पद्धति से ‘खालिस्तान’ का समर्थन किया है । भगवान उनकी रक्षा के लिए हमें आशीर्वाद दें ।
३. पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष सुनील जाखड ने कहा है कि, ‘जिनके पास उत्तरदायित्व है, वे अपने दायित्व का भान रखें ।’ भाजपा द्वारा अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गई है । (९.६.२०२०)