भारतीय संस्कृति में जो प्राचीन काल से बताया गया है, उसपर अब पाश्चात्य वैज्ञानिक शोध कर उसकी पुष्टि कर रहे हैं । इससे वे कितने पिछडे हैं, यह ध्यान में आता है और पाश्चात्यों का अनुसरण करनेवाले भारतीय स्वयं को कितना पिछडा मानते थे, यह भी ध्यान में आता है !
नई देहली – आयुष मंत्रालय द्वारा कोरोना के संदर्भ में की गई अनेक सूचनाओं में से गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करने की सूचना भी अंतर्भूत है । भारतीय संस्कृति में गरारा करने की पद्धति प्राचीन है । अब ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से ‘गर्म पानी में नमक डालकर किए गए गरारों से कोरोना के संक्रमण की संभावना बडी मात्रा में न्यून होने के साथ ही उसके संक्रमण की अवधि भी अल्प हो सकता है’, यह निष्कर्ष निकाला गया है ।
(‘जर्नल ऑफ ग्लोबल हेल्थ’ में प्रकाशित शोध पढने के लिए नीचे दिए गए चित्रों पर क्लिक करें)
१. इन वैज्ञानिकों ने कोरोना पीडित ६६ रोगियोंपर १२ दिनतक यह प्रयोग किया । इन रोगियों को गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करने के लिए कहा गया । १२ दिन पश्चात उनके नाक से प्राप्त तरल के प्रारूप का परीक्षण करनेपर उनमें कोरोना के संक्रमण के लक्षण अत्यंत न्यून होने की बात स्पष्ट हुई ।
२. ‘जर्नल ऑफ ग्लोबल हेल्थ’ में यह शोध प्रकाशित किया गया है । इसमें आगे कहा गया है कि इस प्रयोग से ‘केवल ढाई दिनों में ही कोरोना संक्रमण का प्रभाव न्यून हुआ था । अतः इससे अल्प अवधि में ही कोरोना संक्रमण को न्यून किया जा सकता है ।’ (३.६.२०२०)