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ध्वनिविस्तारक यंत्र से अजान सुनाना इस्लाम का धार्मिक अंग नहीं है !
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जब ध्वनिविस्तारक यंत्र नहीं था, तब भी अजान दी जाती थी ।
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ध्वनिविस्तारक यंत्रपर सुनाई जानेवाली अजानपर रोक लगाना धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है !
इस प्रकार का आदेश केवल यातायात बंदी की अवधितक ही सीमित नहीं, अपितु संपूर्ण देश में स्थाईरूप से होना चाहिए, ऐसा सर्वसामान्य लोगों को लगता है ! इसके लिए केंद्र सरकार को धर्मनिरपेक्षता का पालन कर ऐसा आदेश देना चाहिए !
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अभियोग की सुनवाई के समय यह आदेश दिया है कि अजान देना भले ही इस्लाम का अंग हो; परंतु ध्वनिविस्तारक यंत्र से अजान देना इस्लाम का धार्मिक अंग नहीं है । न्यायालय ने इस आदेश में यह भी कहा है कि राज्य के मुख्य सचिव को जिलाधिकारियों के माध्यम से इस आदेश का पालन सभी से करवाकर लेना चाहिए । उत्तर प्रदेश में यातायात बंदी के कारण ध्वनिविस्तारक यंत्र चलानेपर प्रतिबंध लगा दिया है । गाजीपुर के जिलाधिकारी ने मस्जिदोंपर स्थित भोंपुओं से अजान देनेपर भी प्रतिबंध लगा दिया है । उसके विरुद्ध प्रविष्ट जनहित याचिकापर सुनवाई करते समय न्यायालय ने यह आदेश दिया ।
न्यायालय के आदेश में अंतर्भूत सूत्र
१. ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद लेना प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है और किसी को भी दूसरे के मौलिक अधिकार का हनन करने का अधिकार नहीं है ।
२. जब ध्वनिविस्तारक यंत्र नहीं थे, तब भी अजान दी जाती थी । उस समय में लोग नमाज पढने के लिए मस्जिदों में जाते ही थे । ध्वनिविस्तारक यंत्र से दी जानेवाली अजान रोकना धारा २५ के अनुसार धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं है ।
३. अनुच्छेद २१ स्वास्थ्यमय जीवन का अधिकार प्रदान करता है । भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी को भी बलपूर्वक कुछ सुनाने का अधिकार नहीं देती है । बिना अनुमति के सुनिश्चित किए गए ध्वनिस्तर से अधिक आवाज को सुनाया नहीं जा सकता । रात १० बजे से सुबह ६ बजेतक ध्वनिविस्तारक यंत्र चलानेपर प्रतिबंध है ।
न्यायालय की ओर से बसपा सांसद के पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वीकारा
गाजीपुर के बहुजन समाज पक्ष के सांसद अफजल अन्सारी ने इस ध्वनिविस्तारक यंत्र पर बंदी का विरोध किया था । उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को रमजान के समय में मस्जिदों से भोंपुओं के द्वारा अजान देनेपर प्रतिबंध लगा देना धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है, ऐसा पत्र लिखकर इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की थी । तत्पश्चात मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने इस पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर उसपर राज्य सरकार से उसका मत पूछा था । सरकार और अन्सारी इन दोनों का पक्ष सुनने के पश्चात न्यायालय ने यह निर्णय दिया ।
राज्य सरकार ने न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि अजान तो मस्जिद में नमाज पढने के लिए एकत्रित होने का एक आवाहन है । इस प्रकार ध्वनिविस्तारक यंत्र से अजान सुननेपर लोग बडी संख्या में मस्जिदों में भीड लगायेंगे, जो कोरोना के संदर्भ में लागू यातायात बंदी एवं अन्य नियमों का उल्लंघन होगा । इसीलिए ध्वनिविस्तारक यंत्र चलानेपर प्रतिबंध लगा दिया है । साथ ही सरकार से अनुमति लिए बिना ध्वनिवर्धक यंत्रों से अजान नहीं दी जा सकती ।
मुसलमान धर्मगुरुओं की प्रतिक्रियाएं
१. इस निर्णयपर प्रयागराज के काजी शफीक अहमद शरीफी ने कहा कि रात १० बजे से सवेरे ६ बजेतक ध्वनिविस्तारक यंत्र चलानेपर पहले से ही जो प्रतिबंध है, उसका हम पालन कर ही रहे हैं । (झूठ बोलो और अधिक जोर से बोलो ! देश के अनेक स्थानोंपर मस्जिदों से ध्वनिविस्तारक यंत्रों से ऊंचे स्वर में अजान देकर इस नियम का उल्लंघन किया जा रहा है; इस संदर्भ में पुलिस प्रशासन एवं सामान्य प्रशासन कार्यवाही करने के प्रति निष्क्रियता ही दिखा रहे हैं, यह भी अधिकांश लोगों को ज्ञात है ! – संपादक) न्यायालय ने भी यही कहा है कि अजानपर प्रतिबंध नहीं है । हम न्यायालय का संपूर्ण आदेश देखने के पश्चात आगे की दिशा सुनिश्चित करेंगे ।
२. यहां की शिया जामा मस्जिद के हसन रजा जैदी ने कहा कि न्यायालय ने जो कहा है कि पहले ध्वनिविस्तारक यंत्र नहीं थे; परंतु तब भी लोग नमाज पढने के लिए आते ही थे । मैं तो यह कहूंगा कि पहले अनेक बातें नहीं ती । नई प्रौद्योगिकी आने के पश्चात अब उसका उपयोग किया जा रहा है । (नई प्रौद्योगिकी को अपनाने का यह अर्थ नहीं है कि, उससे अन्यों को कष्ट पहुंचाया जाए अथवा नियमों का उल्लंघन किया जाए ! – संपादक) अतः न्यायालय से मेरी यह प्रार्थना है कि, इस निर्णयपर पुनर्विचार किया जाए । (१५.५.२०२०)