मुंबई में एम.आई.एम. द्वारा न्यायालय के विरोध में और शरीयत न्यायालय के समर्थन में फलक

  • देश में भारतीय न्यायव्यवस्था होते हुए समांतर न्यायव्यवस्था की बात करना क्या संविधान द्रोह नहीं है ?
  • यदि ऐसा फलक हिन्दुत्वनिष्ठों ने लगाया होता, तो देश में हिन्दुओं को तालीबानी कहा गया होता । सीएए कानून का विरोध करते समय धर्मांधों ने हाथों में डॉ. बाबासाहब अंबेडकर का छायाचित्र पकडा था; परंतु इससे ध्यान में आता है कि धर्मांधों को भारतीय कानून से कितना और शरीयत से कितना प्रेम है ?
  • ऐसा फलक लगाकर भी यह कैसे कह सकते हैं कि उसकी कल्पना पालिका प्रशासन और पुलिस को नहीं है ? क्या यह मानें कि इन दोनों ने उस ओर जानबूझकर अनदेखी करते हुए कार्यवाही करना टाला है ?

     मुंबई (महाराष्ट) – मुसलमानों, यदि आप न्यायालय के चक्कर लगाना छोडकर उलेमा द्वारा (शरीयत न्यायालय से) आपकी समस्याएं सुलझाएंगे, तो अल्लाह की कसम किसी भी सरकार में इतना साहस नहीं है कि, वह आपके शरीयत में हस्तक्षेप कर सकेगी, ऐसा संविधान द्रोही विवरण लिखा हुआ फलक मुंबई के अंधेरी में एम.आई.एम. के पदाधिकारियों द्वारा लगाए जाने की जानकारी भाजपा के नेताओं द्वारा ट्वीट कर दी गई है । इस फलक पर इमरान अंधेरीवाला और हाजी रफत हुसेन के नाम हैं तथा उनके भ्रमणभाष क्रमांक दिए हैं । इसमें मुसलमानों को एम.आई.एम में सम्मिलित होने का आवाहन किया गया है ।

भाजपा द्वारा आलोचना

१. एम.आई.एम. द्वारा लगाए गए इस आपत्तिजनक फलक के विरोध में सामाजिक माध्यमों पर आलोचना हो रही है । भाजपा के नेता सुरेंद्र पुनिय ने ट्वीटर पर इस फलक का छायाचित्र प्रसारित करते हुए लिखा है कि, ओवैसी साहब और उनके लोग संविधान और और धर्मनिरपेक्षता बचाने का प्रयत्न कर रहे हैं । आप सब सोते रहिए, जागिए मत ।

२. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी ट्वीट करते हुए लिखा है कि इस फलक से ध्यान में आता है कि, एम.आई.एम. कितना धर्मनिरपेक्ष है ।

एम.आई.एम. द्वारा किसी प्रकार का खुलासा नहीं

इस फलक के संबंध में एम.आई.एम. द्वारा कोई अधिकृत खुलासा नहीं किया गया । (१५.५.२०२०)