चीन को भी आयुर्वेद का आधार !
चीन यदि कालमेघ पर शोध कर कोरोना पर औषधि बना ले, तो वह उससे संबंधित पेटेंट प्राप्त कर इस वनस्पति की खेती अथवा उपयोग पर प्रतिबंध लगाएगा । यह ध्यान में रखकर भारत को शोध कर कोरोना पर आयुर्वेदिक औषधि बनानी चाहिए !
नई देहली – भारत ने कोरोना पर उपचार के लिए आयुर्वेद का उपयोग करने हेतु कदम उठाए हैं तथा उसके लिए शोधदल स्थापित किए हैं । जानकारी मिली है कि चीन भी कोरोना पर उपचार खोजने के लिए आयुर्वेद का आधार ले रहा है । कालमेघ नामक औषधीय वनस्पति का अध्ययन कर क्या वह कोरोना के उपचार पर लागू होगी ? इस पर चीन भी शोध कर रहा है । सीआईएमएपी के (सेंट्रल इन्स्टिट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंह एरोमेटिक प्लांट के) वैज्ञानिकों के मतानुसार चीन में गत ३ मास से इस पर शोध किया जा रहा है । चीन ने कालमेघ वनस्पति द्वारा क्सिंपिंग नामक औषधि बनाई है । इसका उपयोग संक्रमण विरोधी, ज्वररोधक तथा गले में होनेवाले संक्रमण का विरोध करने के लिए किया जानेवाला है । इस पर और शोध चल रहा है । वैज्ञानिकों का एक दल इस पर काम कर रहा है ।
भारत के आयुष मंत्रालय ने भी कालमेघ वनस्पति पर शोध किया है । इंडियन ड्रग इन्स्टिट्यूट के एक ब्यौरे में भी कालमेघ के संबंध में जानकारी देते हुए कहा गया है कि इस वनस्पति की मात्रा मलेरिया और अन्य पुराने ज्वर पर भी लागू होती है । (१६.४.२०२०) ॐ
कालमेघ वनस्पति के लाभ
कालमेघ को आयुर्वेद में चमत्कार भी कहा जाता है; क्योंकि इस वनस्पति का उपयोग अनेक रोगों पर उपचार स्वरूप किया जाता है । इस वनस्पति से केवल रोगप्रतिकारक शक्ति ही नहीं बढती, अपितु उसका उपयोग रक्तशुद्धि, त्वचारोग, यकृत का कार्य अच्छा करना, मधुमेह, डेंगू, चिकनगुनिया तथा सर्दी के रोग ठीक करने के लिए भी किया जाता है ।