संचारबंदी काल में अश्‍लील जालस्थल देखनेवालों की संख्या बढी !

  • केंद्र सरकार ने अश्‍लील जालस्थल देखने पर प्रतिबंध लगाया है; फिर भी वे कैसे देखे जाते हैं ? इस ओर प्रशासन और पुलिस का ध्यान क्यों नहीं जा रहा है ? क्या यह प्रतिबंध केवल कागदी (कागजी) है ?
  • साधना न सिखाने का यह दुष्परिणाम है । आपातकाल में अश्‍लील साहित्य देखने में मग्न लोग आगामी भीषण आपातकाल का सामना कैसे करेंगे ?

     नई देहली – देश में संचारबंदी लागू होने के कारण लोगों को घर में रहना पड रहा है । ऐसे समय वे लोग अश्‍लील जालस्थल (पॉर्न साईट्स) देख रहे हैं, यह बात सामने आ रही है । केंद्र सरकार ने ऐसे ८५७ जालस्थलों पर प्रतिबंध लगाया है; फिर भी वे देखे जाते हैं । लोगों का कहना है कि अश्‍लील जालस्थल देखने के लिए पहले शुल्क लगता था; परंतु इस संचारबंदी काल में इन जालस्थलों ने भी अपना साहित्य निःशुल्क देखने की अनुमति दी है । इसलिए इन जालस्थल के दर्शकों की संख्या बढी है ।

     प्रौढों के जालस्थल एक्स्-हेम्सटर ने एक सर्वेक्षण कर बताया है कि फरवरी महीने की तुलना में मार्च में प्रतिदिन अश्‍लील जालस्थल देखनेवालों की संख्या २० प्रतिशत बढी है । (२०.४.२०२०)