कोरोनारूपी आपातकाल हेतु मार्गदर्शक स्तंभ !
‘वर्तमान में सर्वत्र प्रतिकूल परिस्थिति निर्माण हुई है । इस कालावधि में प्रतिदिन आगे दिए नामजपादि उपचार हों, इस ओर साधक ध्यान दें ।
‘वर्तमान में सर्वत्र प्रतिकूल परिस्थिति निर्माण हुई है । इस कालावधि में प्रतिदिन आगे दिए नामजपादि उपचार हों, इस ओर साधक ध्यान दें ।
जिन्हें अध्यात्म के प्रति रुचि है उन्हें ईश्वरप्राप्ति शीघ्र कराने हेतु तथा संपूर्ण विश्व में हिन्दू धर्म का शास्त्रीय परिभाषा में प्रचार करने के उद्देश्य से, सनातन ने मार्च २०२१ तक ३३४ अनमोल ग्रंथों का प्रकाशन किया है, भविष्य में हजारों ग्रंथ प्रकाशित होंगे ।
वर्तमान में कोरोना टीकाकरण के पंजीकरण हेतु आधारकार्ड क्रमांक अथवा भ्रमणभाष पर ‘ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड)’ पूछा जाता है । यह ‘ओटीपी’ बताने पर, आपका नाम टीकाकरण हेतु रजिस्टर होगा’, ऐसा बताया जा रहा है ।
अनेक संतों ने समय-समय पर बताया है कि आनेवाला समय बहुत भयानक है । यह भयानक आपातकाल अब आरंभ हो गया है तथा ‘एकाएक बादल फटना, नदियों में बाढ आना, महामारी, युद्धसदृश परिस्थिति उत्पन्न होना अथवा प्रत्यक्ष युद्ध होना’, ऐसी प्रतिकूल घटनाएं हो रही हैं तथा भविष्य में भी हो सकती हैं ।
‘वर्तमान में कोरोना १९ (कोविड १९) विषाणु पर प्रतिबंधात्मक उपाय के रूप में प्रत्येक व्यक्ति को अनावश्यक यात्रा टालनी चाहिए, कुछ आवश्यक कार्य हेतु यात्रा करनी पडे तथा किसी समारोह अथवा कार्यक्रम में जाना पडे, तो आगे दी गई बातों का ध्यान रखें ।
सनातन संस्था का कार्य पूर्वी उत्तर भारत के कुछ स्थानों पर चल रहा था, ऐसे क्षेत्रों में सनातन संस्था और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के नाम का दुरुपयोग कर कुछ लोग ‘सनातन प्रभात’ के पाठकों तथा सनातन के साधकों को भ्रमित कर रहे हैं, ऐसा ध्यान में आया है ।
धर्मप्रसार सेवा में संपूर्ण भारत के १०० से अधिक साधक सम्मिलित होनेवाले हैं । इन सबके निवास, भोजन आदि सहित अन्य बातों की व्यवस्था करनी पडेगी । इसके लिए धन और वस्तुआें की आवश्यकता है ।
सनातन के आश्रमों में विविध संगणकीय सेवाआें के लिए तथा धर्मप्रसार के अंतर्गत विविध कार्यक्रमों में भ्रमणसंगणकों का (‘लैपटॉप’ का) उपयोग किया जाता है । वर्तमान में भ्रमणसंगणकों के लिए आवश्यक बैग्ज की संख्या कम पड रही है तथा निम्नानुसार ‘लैपटॉप बैग्ज’ की आवश्यकता है ।
जो साधक, पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमी धर्मप्रसार की सेवाआें के लिए हरिद्वार में स्थित स्वयं की वास्तु तथा परिचित संतों का आश्रम निःशुल्क उपयोग हेतु अथवा अल्प किराए पर दे सकते हैं, वे कृपया सूचित करें ।
कुंभकाल में धर्मप्रसार की सेवा करने के लिए संपूर्ण भारत के १०० से अधिक साधक हरिद्वार में निवास हेतु आनेवाले हैं । इस काल में कुंभ क्षेत्र पर विविध सेवाआें के लिए दोपहिया और चारपहिया वाहनों की आवश्यकता है ।