कुंभपर्व काल में धन अथवा वस्तु स्वरूप में अर्पण करने का अमूल्य अवसर !

इस कुंभपर्व की अवधि में सत्पात्रे दानम के अनुसार दानधर्म करने से उसका साधना के लिए १ सहस्र गुना अधिक लाभ होता है । इस धर्मप्रसारसेवा में संपूर्ण भारत के १०० से अधिक साधक सहभागी होनेवाले हैं । इन सबके निवास,भोजन आदि सहित अन्य बातों की व्यवस्था करनी पडेगी ।

हरिद्वार में होनेवाले कुंभपर्व के लिए वहां स्थित स्वयं की वास्तु,परिचित संतों को आश्रम उपलब्ध करवाकर धर्मकार्य में सहभागी हों !

जो साधक, पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमी धर्मप्रसार की सेवाआें के लिए हरिद्वार में स्थित स्वयं की वास्तु तथा परिचित संतों का आश्रम निःशुल्क उपयोग हेतु अथवा अल्प किराए पर दे सकते हैं,वे कृपया सूचित करें । हरिद्वार स्थित चंडीघाट, संन्यास रोड, ज्यालापुर, कनखल, सप्तर्षि मार्ग, हरकी पौडी इस क्षेत्र में यह वास्तु हो,तो सुविधाजनक होगा; परंतु इसके अतिरिक्त शहर के अन्य क्षेत्र की वास्तु भी चलेगी ।

हरिद्वार में कुंभपर्व की सेवा के लिए अच्छी स्थिति की साइकिलें, दोपहिया और चारपहिया वाहनों की आवश्यकता !

११ मार्च २०२१ से २७ अप्रैल २०२१ की अवधि में हरिद्वार (उत्तराखंड)में महाकुंभपर्व है। कुंभकाल में धर्मप्रसार की सेवा करने के लिए संपूर्ण भारत के १०० से अधिक साधक हरिद्वार में निवास हेतु आनेवाले हैं । इस काल में कुंभक्षेत्र पर विविध सेवाआें के लिए दोपहिया और चारपहिया वाहनों की आवश्यकता है ।

आपातकाल की तैयारी के लिए नई अथवा पुरानी बैलगाडी, घोडागाडी अथवा उनके विविध भाग (पुर्जे) अर्पण अथवा अल्‍प मूल्‍य में कोई दे सकता हो, तो उससे संबंधित जानकारी भेजें !

वर्तमान में यातायात या परिवहन के लिए रेलवे, ट्रक, टेम्‍पो, रिक्‍शा आदि ईंधन पर चलनेवाले वाहनों का उपयोग होता है । संभावित आपातकाल में ईंधन उपलब्ध नहीं हो पाएगा । तब दैनिक आवश्यकताएं पूर्ण करने के लिए प्राचीन काल में उपयोग किए जानेवाले ईंधनरहित वाहनों (उदा. बैलगाडी, घोडागाडी) का विकल्प चुनना पडेगा ।

सिलाई जाननेवाले साधक, पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमियों को गुरुसेवा का अनमोल अवसर !

‘सनातन के विविध आश्रमों में परदे, नेटलॉन, पायदान (डोर मैट), गुदडी, कुर्सियों के लिए कवर आदि की सिलाई करने की सेवा बडी मात्रा में उपलब्ध है । इसके साथ ही आश्रम में पूर्णकालिक साधना करनेवाले साधकों के लिए सात्त्विक परिधान सिलने के इच्छुक साधकों की भी आवश्यकता है ।

साधको, वैकल्पिक स्थान पर घर अथवा स्थान खरीदते अथवा किराए पर लेते समय होनेवाली ठगी से बचने के लिए सतर्क रहें !

साधक स्‍थलांतरित होते समय अलग-अलग गांवों अथवा तहसील में अकेले न रहें तथा साधना की दृष्‍टि से परस्‍पर पूरक होने के लिए सुविधाजनक किसी एक गांव में अथवा तहसील में आस-पास घर लेकर रहने का नियोजन करें ।

‘स्‍वयं की चल एवं अचल संपत्ति का ‘सत्‍पात्रे दान’ हो; इस उद्देश्‍य से सनातन संस्‍था को दान देने के लिए इच्‍छुक हों, तो अपने जीवनकाल में ही उसका अर्पण दें !

‘सनातन संस्‍था विगत अनेक वर्षों से निःस्‍वार्थ भाव तथा निरपेक्ष वृत्ति से धर्मप्रसार का कार्य कर रही है । पूरे भारत के विविध स्‍थानों के साधक अविरत रूप से धर्मप्रसार का कार्य कर रहे हैं तथा इस कार्य में अनेक पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमी जुडे हैं । सनातन संस्‍था का कार्य देखकर अनेक लोग संस्‍था को विविध रूप में अर्पण देते हैं ।

भूमि खरीद और ठेकेदार से घर का निर्माण करवाते समय संभावित धोखाधडी टालने हेतु कानूनी बातों की आपूर्ति करें !

अनेक बार हम खाली भूमि खरीदते हैं अथवा खाली भूमि पर निर्माणकार्य करते हैं । सर्वप्रथम आपातकाल की दृष्टि से निर्माणकार्य के लिए भूमि का चुनाव करते समय उसके सभी मापदंडों की पडताल करें । खाली भूमि खरीदते समय अथवा उस पर निर्माणकार्य करने से पूर्व अनेक दस्तावेजों की पडताल कर लेना महत्त्वपूर्ण होता है ।

सनातन-निर्मित सर्वांगस्पर्शी अनमोल आध्यामत्मिक ग्रंथसंपदा सभी भारतीय भाषाओं में प्रकाशित हो; इसके लिए ग्रंथनिर्मिति की व्यापक सेवा में सम्मिालित हों !

परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी जिन ग्रंथों का संकलन कर रहे हैं, उन ग्रंथों में से नवंबर २०२० तक केवल ३२९ से अधिक ग्रंथ-लघुग्रंथों की निर्मिति हो पाई है तथा अन्‍य लगभग ६ सहस्र से भी अधिक आध्‍यात्मिक ग्रंंथों की निर्मिति की प्रक्रिया तीव्रगति से हो, इसके लिए अनेक लोगों की सहायता की आवश्‍यकता है ।

साधको, आश्रम के अन्‍नपूर्णा कक्ष (रसोईघर) की सेवाआें में सहभागी होकर अपनी आध्‍यात्मिक उन्‍नति कर लें !

रामनाथी, गोवा स्‍थित सनातन का आश्रम अर्थात चैतन्‍य का स्रोत ! रामनाथी आश्रम में अन्‍नपूर्णा कक्ष (रसोईघर) की विविध सेवाआें के लिए साधकसंख्‍या अल्‍प पड रही है । यह सेवा करने के लिए शारीरिक क्षमतावाले स्‍त्री और पुरुष साधकों की आवश्‍यकता है ।