कोरोनारूपी आपातकाल हेतु मार्गदर्शक स्‍तंभ !

‘परात्‍पर गुरु डॉक्‍टर आठवलेजी द्वारा बताए गए नामजपादि उपचार संकटकाल
में जीवित रहने की संजीवनी ही है’, यह ध्‍यान में लेकर सभी उपचार गंभीरता से करें !

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ

     ‘वर्तमान में सर्वत्र प्रतिकूल परिस्‍थिति निर्माण हुई है । इस कालावधि में प्रतिदिन आगे दिए नामजपादि उपचार हों, इस ओर साधक ध्‍यान दें ।

१. नामजप

     ‘वर्तमान में अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने हेतु तथा आध्‍यात्‍मिक बल प्राप्‍त करने हेतु सद़्‍गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा बताया गया नामजप (‘श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – श्री गुरुदेव दत्त – श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – श्री दुर्गादेव्‍यै नमः –
ॐ नमः शिवाय ।’) प्रतिदिन १०८ बार करें ।

     यह नामजप https://www.sanatan.org/hindi/helpful_chant_in_corona लिंक पर उपलब्‍ध है ।

१ अ. छाती में कफ हुआ है, ऐसा ध्‍यान में आने पर अथवा खांसी होने पर कफ न होने हेतु ‘श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – श्री हनुमते नमः – श्री हनुमते नमः – ॐ नमः शिवाय – ॐ नमः शिवाय ।’ नामजप प्रतिदिन १०८ बार करें ।

२. स्‍तोत्रपठन

     आपातकाल में रक्षा होने हेतु प्रतिदिन सवेरे चंडीकवच (देवीकवच) एवं सायंकाल में ‘बगलामुखी दिग्‍बन्‍धन स्‍तोत्र’ सुनें । ये स्‍तोत्र https://www.sanatan.org/hindi/audio-gallery लिंक पर उपलब्‍ध हैं ।

३. ‘रक्षायंत्र’ तथा रामकवच धारण करना

     परात्‍पर गुुरु पांडे महाराजजी की आज्ञानुसार प्रतिदिन ‘रक्षायंत्र’ साथ रखें तथा रामकवच धारण करें । रक्षायंत्र एवं रामकवच के डोरे तथा ताईत के रक्षायंत्र की प्रति प्रत्‍येक २ मास में परिवर्तित करें । पुराने डोरे रक्षायंत्र की प्रति अग्‍निमें विसर्जित कर नए डोरे एवं प्रति ताईत में डालें । रक्षायंत्र का ताईत बदलने की आवश्‍यकता नहीं है । रक्षायंत्र की प्रति तथा उस संदर्भ में सूचना सभी को उपलब्‍ध होने हेतु https://www.sanatan.org/hindi/a/27729.html लिंक पर रखी हैं ।

४. प्रति एक घंटे में अगरबत्ती अथवा स्‍वयं के हाथ से सप्‍तचक्रों पर आया आवरण निकालना

     प्रति एक घंटे में सहस्रार से स्‍वाधिष्‍ठान चक्रों पर कष्‍टदायक शक्‍ति का आवरण २ – ३ मिनट निकालें । आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित साधक अगरबत्ती की सहायतासे तथा कष्‍ट रहित साधक स्‍वयं के हाथों से आवरण निकालें । इसके पश्‍चात ‘भीमसेनी’ कर्पूर की सुगंध लेकर उपचार करें । भगवान श्रीकृष्‍ण से प्रार्थना करें, ‘मेरी देह की शुद्धि होकर मुझे उत्‍साह प्रतीत हो ।’

     साधकों की साधना भंग कर उन्‍हें कष्‍ट देने हेतु अनिष्‍ट शक्‍तियां हर संभव प्रयास कर रही हैं । संकटकाल में तो ये कष्‍ट अधिक बढने के कारण इस कालावधि में सभी को नामजपादि उपचार करना अनिवार्य है ।

     साधको, सर्वशक्‍तिमान ईश्‍वर हमारे साथ हैं, इसलिए प्रतिकूल परिस्‍थिति में विचलित न होकर स्‍थिर रहते हुए श्रद्धा से सभी उपचार करें !’

– (श्रीसत्शक्‍ति) श्रीमती बिंदा सिंगबाळ, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (१३.४.२०२१)

     साधकों को व्‍यष्‍टि साधना के ब्‍यौरे में ‘क्‍या स्‍वयं से उपर्युक्‍त सभी आध्‍यात्मिक उपचार नियमित रूप से होते हैं ?’, इसका ब्‍यौरा ब्‍यौरासेवकों को दें ।

सभी साधक कोरोना के संदर्भ में  चौखट अपने पास संग्रहित रखें !