कुंभ मेले की पवित्रता की रक्षा हेतु ग्रंथमाला : कुंभ पर्व एवं वर्तमान स्‍थिति

कुंभ मेले की विशेषताएं, कुंभ पर्वक्षेत्र की महानता, कुंभ क्षेत्र में करने-योग्‍य धार्मिक कृत्‍य, धर्मरक्षक अखाडों का महत्त्व, हिन्‍दू धर्म के उत्‍थान की दृष्‍टि से कुंभ मेले के कार्य, तथाकथित साधुआें का व्‍यवहार…

हरिद्वार में होनेवाले कुंभ पर्व के लिए वहां स्थित स्वयं की वास्तु, परिचित संतों को आश्रम उपलब्ध करवाकर धर्मकार्य में सम्मिलित हों !

जो साधक, पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमी धर्मप्रसार की सेवाआें के लिए हरिद्वार में स्थित स्वयं की वास्तु तथा परिचित संतों का आश्रम निःशुल्क उपयोग हेतु अथवा अल्प किराए पर दे सकते हैं, वे कृपया सूचित करें ।

हरिद्वार में कुंभ पर्व की सेवा के लिए अच्छी स्थिति की साइकिलें, दोपहिया और चारपहिया वाहनों की आवश्यकता !

कुंभकाल में धर्मप्रसार की सेवा करने के लिए संपूर्ण भारत के १०० से अधिक साधक हरिद्वार में निवास हेतु आनेवाले हैं । इस काल में कुंभ क्षेत्र पर विविध सेवाआें के लिए दोपहिया और चारपहिया वाहनों की आवश्यकता है ।

शिवतत्त्व का लाभ करानेवाले प्रमुख व्रत एवं उत्सव

अन्य देवताओं की अपेक्षा श्रीविष्णु एवं शिव का विशेष महत्त्व होने से श्रीविष्णु की भान्ति शिव के भी और दो त्योहार हैं – श्रावण सोमवार और कार्तिक सोमवार । इन में श्रावण सोमवार दयास्वरूप, जबकि कार्तिक सोमवार न्यायस्वरूप त्योहार है । श्रावण मास से कार्तिक मास तक घर के भीतर ही दानधर्म करना होता है,जबकि कार्तिक मास से श्रावण मास तक दानधर्म बाहर करना होता है । तीर्थयात्रा इत्यादि भी कार्तिक से श्रावण के मध्य करनी होती है ।

श्री गणेश जयंती माघ शु.प. ४ (१५ फरवरी)

माघ शुक्ल पक्ष चतुर्थी को गणेश तरंगें प्रथम बार पृथ्वी पर आई थीं । अत: इस दिन ‘श्री गणेश जयंती’ मनाई जाती है । इसकी विशेषता यह है कि इस दिन गणेश तत्त्व १००० गुना अधिक कार्यरत रहता है ।

वसंत पंचमी

ऐसा कहा जाता है कि कामदेव मदन का जन्म इसी दिन हुआ । दांपत्य-जीवन सुख से बीते, इस उद्देश्य से लोग रति-मदन की पूजा एवं प्रार्थना करते हैं ।

सनातन संस्‍था के हितचिंतक श्री. सचिन कपिल के पिताजी की मृत्‍यु के उपरांत तेरहवीं के दिन पर ‘ऑनलाइन साधना सत्‍संग’ का आयोजन !

मृत्‍यु के उपरांत पूर्वजों की अतृप्‍त आत्‍मा को सद़्‍गति मिलने के लिए हमें क्‍या प्रयास करने चाहिए, पूर्वजों से होनेवाले कष्‍ट निवारण हेतु भगवान दत्तात्रेय के नामजप का महत्त्व, साधना और कालानुसार नामजप का महत्त्व आदि विषयों पर हिन्‍दू जनजागृति समिति के प्रवक्‍ता श्री. नरेंद्र सुर्वे ने अपने विचार प्रस्‍तुत किए ।

मकर संक्रांति (१४ जनवरी)

तिल का उपयोग : संक्रांति पर तिल का अनेक ढंग से उपयोग करते हैं, उदा. तिल युक्त जल से स्नान कर तिल के लड्डू खाना एवं दूसरों को देना, ब्राह्मणों को तिलदान, शिवमंदिर में तिल के तेल से दीप जलाना, पितृश्राद्ध करना (इसमें तिलांजलि देते हैं) ।

दत्त जयंती

दत्तजयंती पर दत्ततत्त्व पृथ्‍वी पर सदा की तुलना में १००० गुना कार्यरत रहता है । इस दिन भगवान दत्तात्रेय की भक्‍तिभाव से नामजपादि उपासना करने पर दत्त तत्त्व का अधिकाधिक लाभ मिलने में सहायता होती है । दत्तजयंती उत्‍सव से सात दिन पूर्व गुरुचरित्र का पारायण (गुरुचरित्र सप्‍ताह) करते हैं ।