आपतकाल की वटपूर्णिमा (वटवृक्ष की पूजा) !
ज्येष्ठ पूर्णिमा अर्थात इस वर्ष २४.६.२०२१ को वटपूर्णिमा है । वर्तमान में भारत में यातायात बंदी के कारण स्त्रियों का वट (बरगद) के वृक्ष के पास एकत्रित होकर वटवृक्ष की पूजा करना संभव नहीं है ।
ज्येष्ठ पूर्णिमा अर्थात इस वर्ष २४.६.२०२१ को वटपूर्णिमा है । वर्तमान में भारत में यातायात बंदी के कारण स्त्रियों का वट (बरगद) के वृक्ष के पास एकत्रित होकर वटवृक्ष की पूजा करना संभव नहीं है ।
हिन्दू धर्म के साढे तीन शुभमुहूर्ताें में से वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया एक है । अक्षय तृतीया को किए गए दान एवं हवन का कभी क्षय नहीं होता । इसीलिए इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं । इस तिथि पर कोई भी समय शुभमुहूर्त ही होता है ।
हमारे देश में सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ । मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है । चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जानेवाले छठ पर्व को चैती छठ कहा जाता है ।
धर्म-अधर्म की लडाई में महत्त्वपूर्ण देवता हैं, हनुमानजी! हनुमानजी ने रावण के विरुद्ध प्रभु श्रीराम का सहयोग किया तथा महाभारत के युद्ध में भी वे कृष्णार्जुन के रथ पर विराजमान थे।
रामराज्य में प्रजा धर्मपरायण थी । इसीलिए उसे श्रीराम जैसे सात्त्विक शासक के साथ आदर्श राज्य प्राप्त हुआ । उसी प्रकार, हम भी यदि धर्मपरायण एवं ईश्वर-भक्त बनें, तो आज भी उस समय का रामराज्य साकार हो सकता है !
जिस भाव से ब्रह्मध्वज की पूजा जाती है, उसी भाव से उसे उतारना चाहिए, तब ही जीव को चैतन्य मिलता है । मीठे पदार्थ का भोग लगाकर और प्रार्थना कर ध्वजा उतारनी चाहिए ।
भारतीय परंपरा के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा अर्थात गुडी पडवा नववर्ष का आरंभ है ! इस दिन सवेरे अभ्यंग स्नान कर, ब्रह्मध्वज का पूजन कर नववर्ष का स्वागत किया जाता है ।
धर्मप्रसार सेवा में संपूर्ण भारत के १०० से अधिक साधक सम्मिलित होनेवाले हैं । इन सबके निवास, भोजन आदि सहित अन्य बातों की व्यवस्था करनी पडेगी । इसके लिए धन और वस्तुआें की आवश्यकता है ।
‘संपूर्ण देश में महाशिवरात्रि बडे उत्साह से मनाई जाती है । फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को शिवजी का व्रत महाशिवरात्रि करते हैं । (इस वर्ष ११ मार्च २०२१ को महाशिवरात्रि है ।) उपवास, पूजा और जागरण महाशिवरात्रि व्रत के ३ अंग हैं । ‘फाल्गुन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को एक समय उपवास करें । … Read more
कुंभ मेले की विशेषताएं, कुंभ पर्वक्षेत्र की महानता, कुंभ क्षेत्र में करने-योग्य धार्मिक कृत्य, धर्मरक्षक अखाडों का महत्त्व, हिन्दू धर्म के उत्थान की दृष्टि से कुंभ मेले के कार्य, तथाकथित साधुआें का व्यवहार…