उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता का १५ सूत्री प्रारूप तैयार कर लिया !

  • ‘निकाह हलाला’ और ‘इद्दत’ पर प्रतिबंध !

  • लिव-इन रिलेशनशिप (विवाह बाह्य सहजीवन) में रहने वाले जोड़ों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा !

  • जनसंख्या नियंत्रण सूत्र भी अंतर्भूत !

‘निकाह हलाला’ और ‘इद्दत’ क्या है ?

१. ‘निकाह हलाला’, इस्लाम में  विवाह विच्छेद के उपरांत पूर्व पति से पुनर्विवाह करने की प्रथा है, इस  प्रथा के अनुसार, जब महिला किसी अन्य से विवाह करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाती है तथा उसके उपरांत पुन: पूर्व पति से विवाह विच्छेद करने के उपरांत उससे दूसरी बार विवाह करती है !

२. इस्लाम के अनुसार, एक विधवा अपने पति की मृत्यु के उपरांत त्वरित विवाह नहीं कर सकती। एक निश्चित समय सीमा के व्यतीत होने के उपरांत ही उसका विवाह हो सकता है। इसे इद्दत कहा जाता है।

देहरादून (उत्तराखंड) – गत वर्ष राज्य में सत्ता संभालने के उपरांत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने चुनाव पूर्व आश्वासन के अनुसार समान नागरिक संहिता की दिशा में कार्य करना आरंभ कर दिया था। अब उत्तराखंड राज्य सरकार ने समान नागरिक संहिता के १५ सूत्री प्रारूप को स्वीकृति दे दी है। विधान के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा गठित समिति शीघ्र ही इसका प्रारूप सरकार को प्रदान करेगी ।

सूत्रों के अनुसार प्रारूप में विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने, हलाला और इद्दत पर प्रतिबंध और ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ (विवाह बाह्य सहजीवन) के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने की अनुशंसा सम्मिलित हैं। इसके साथ ही इस प्रारूप में जनसंख्या नियंत्रण के सूत्रों को भी सम्मिलित किया गया है।

समान नागरिक संहिता के महत्वपूर्ण सूत्र !

१. लडकियों की विवाह योग्य आयु की सीमा बढाई जाएगी।

२. बिना पंजीकरण के किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

३. पति-पत्नी दोनों को विवाह विच्छेद का समान अधिकार होगा।

४. बहुविवाह पर प्रतिबंध लगेगा।

५. उत्तराधिकार में बेटियों को भी मिलेगा बेटों के समान अधिकार !

६. यदि बच्चा अनाथ है तो संरक्षकता प्रदान करने की प्रक्रिया सरल की जाएगी।

७. पति-पत्नी के बीच हुआ वाद-विवाद हुआ तो दादा-दादी पर होगा पोते-पोतियों का दायित्व !

८. जनसंख्या नियंत्रण के लिए सीमित की जा सकती है बच्चों की संख्या !

संपादकीय भूमिका 

उत्तराखंड में भाजपा सरकार का सराहनीय निर्णय। वास्तव में प्रत्येक राज्य को ऐसा कानून बनाने के स्थान पर केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर यह कानून लाना चाहिए, ऐसा राष्ट्र प्रेमी विचार करते हैं !