राष्ट्र की ओर देखने का सर्वदलीय शासकों का अपूर्ण दृष्टिकोण एवं परात्पर गुरु डॉ.आठवलेजी का परिपूर्ण दृष्टिकोण !
वर्तमान सर्वदलीय शासक राष्ट्र को केवल स्थूल दृष्टि से एक राष्ट्र के रूप में देखते हैं; अत:वे केवल राष्ट्र के भौतिक विकास, जनता के लिए आधुनिक सुविधाएं आदि के अनुसार ही विचार करते हैं । चराचर में स्थित प्रत्येक वस्तु के अस्तित्व के पीछे स्थूल कारण सहित सूक्ष्म कारण भी होते हैं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी राष्ट्र की ओर स्थूल दृष्टि के साथ-साथ सूक्ष्म दृष्टि से, अर्थात धर्म की दृष्टि से देखते हैं;क्योंकि धर्म राष्ट्र की आत्मा है ।