नवरात्रिकी कालावधिमें उपवास करनेका महत्त्व

उपवास करनेसे व्यक्तिके देहमें रज-तमकी मात्रा घटती है और देहकी सात्त्विकतामें वृद्धि होती है । ऐसा सात्त्विक देह वातावरण में कार्यरत शक्तितत्त्वको अधिक मात्रामें ग्रहण करनेके लिए सक्षम बनता है ।

देवी की मूर्ति गिरने पर तथा भग्न होने पर क्या करें ?

‘मूर्ति नीचे गिर गई; परंतु भग्न नहीं हुई, तो प्रायश्‍चित नहीं लेना पडता । ऐसे में केवल उस देवता की क्षमा मांगें तथा तिलहोम, पंचामृत पूजा, दुग्धाभिषेक इत्यादि विधि अध्यात्म के अधिकारी व्यक्ति के मार्गदर्शन में करें ।

नवरात्रिमें आधुनिक गरबा : संस्कृतिका जतन नहीं; बल्कि पतन !

हिंदुओ, हमाारे सार्वजनिक उत्सवोंका विकृतिकरण हो रहा है । अधिकांश लोग उत्सव मनाने के धार्मिक, आध्यात्मिक व सामाजिक कारण को भूलकर केवल मौजमस्ती इस एक ही दृष्टिसे उत्सवोंकी ओर देखते हैं ।

नवरात्रि : बाजारीकरण एवं संभाव्य धोखे !

हिन्दुओं के उत्सवों में आजकल अपप्रवृत्तियों ने प्रवेश कर लिया है । उत्सवों का बाजारीकरण होने से हिन्दू उत्सव मनाने का मूल उद्देश्य एवं उसका मूल शास्त्र भूल रहे हैं । हिन्दुओं की भावी पीढी तो उत्सवों में जो अपप्रवृत्तियां प्रवेश हो गईं हैं, उन्हें ही उत्सव समझने लगी हैं । यह स्थिति अत्यंत बिकट है ।

कुछ देवियों की उपासना की विशेषताएं

किसी में देवी की शक्ति सहन करने की क्षमता न हो, तो प्रथम शांतादुर्गा, फिर दुर्गा का और अंत में महिषासुरर्मिदनी का आवाहन करते हैं । इससे देवी की शक्ति सहन करने की क्षमता धीरे-धीरे बढने लगती है एवं महिषासुरर्मिदनी की शक्ति सहनीय हो जाती है ।

कालानुसार आवश्यक देवीमांकी उपासना

मूर्ति शास्त्रानुसार बनाई जाए, तो ही देवताका तत्त्व आकृष्ट होता है । ध्यान रहे, जहां देवताका शब्द अर्थात नाम है, वहां उनकी शक्ति भी होती है । इसलिए ऐसा करना अनुचित है । श्रद्धा, देवताओंकी उपासनाकी नींव है । देवताओंका अनादर श्रद्धाको क्षति पहुंचाता है ।

‘हाई प्रोफाइल’ (उच्चवर्गियों के) प्रकरण एवं उनके अन्वेषण की दिशा !

उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के निकट गाडी में पाए गए जिलेटिन एवं उस संबंध से मनसुख हिरेन की मृत्यु का प्रकरण चर्चा में आना एवं वह ‘हाई प्रोफाइल’ (उच्चवर्गीय) के रूप में उसकी गणना होना

देवी की उपासना

विशिष्ट फूलोंमें विशिष्ट देवताके पवित्रक, अर्थात् उस देवताके सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण आकर्षित करनेकी क्षमता अन्य फूलोंकी तुलनामें अधिक होती है । स्वाभाविक है कि, ऐसे फूल देवताकी मूर्तिको चढाना मूर्तिको जागृत करनेमें सहायक हैं । इससे मूर्तिके चैतन्यका लाभ हमें शीघ्र मिलता है । इसलिए विशिष्ट देवताको विशिष्ट फूल चढाना महत्त्वपूर्ण है ।

श्राद्ध कौन करें व कौन न करें ?

दिवंगत व्यक्ति का श्राद्ध परिवार में किसने करना चाहिए और उसके पीछे का अध्यात्मशास्त्रीय कारण इस लेख में देखेंगे । इससे ध्यान में आएगा कि हिन्दू धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है, जो प्रत्येक व्यक्तिका उसकी मृत्युके उपरांत भी ध्यान रखता है !

श्राद्ध करने में अडचन हो, तो उसे दूर करने का मार्ग

हिन्दू धर्म में इतने मार्ग बताए गए हैं कि ‘श्राद्धविधि अमुक कारण से नहीं कर पाए’, ऐसा कहने का अवसर किसी को नहीं मिलेगा । इससे स्पष्ट होता है कि प्रत्येक के लिए श्राद्ध करना कितना अनिवार्य है ।