Kamakhya Temple Would be run by Pujaris : सरकार नहीं; अपितु मंदिर के पुजारी ही देखेंगे मंदिर का व्यवस्थापन !

सर्वाेच्च न्यायालय का महत्त्वपूर्ण निर्णय !

गुवाहाटी (असम) – भारत के विख्यात तीर्थस्थलों में से एक आसाम के कामाख्या मंदिर के संदर्भ में सर्वाेच्च न्यायालय ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय दिया है । न्यायालय ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के कामाख्या मंदिर संबंधी निर्णय को निरस्त करते हुए कहा कि सरकार नहीं; अपितु मंदिर के पुजारी ही मंदिर की व्यवस्था देखेंगे !

(सौजन्य : Dinar Info)

१. वर्ष २०१७ में गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने आदेश देते हुए कहा था कि, ‘भक्तों द्वारा मंदिर को अर्पित धन जिला उपायुक्त के पास जमा होगा । इस धन का उपयोग मंदिर की देखभाल, सुधार तथा व्यवस्थापन के लिए प्रयुक्त होगा । इसके लिए न्यायालय ने एक बैंक खाता भी खोलने को कहा था ।

२. इस निर्णय के विरुद्ध सर्वाेच्च न्यायालय में एक याचिका प्रविष्ट की गई थी । इसपर सर्वाेच्च न्यायालय ने उपरोक्त निर्णय दिया । इससे मंदिर का विकासकार्य अब ‘डोलोई समाज’ के नाम से परिचित यहां के मंदिर के पुजारी ही देख पाएंगे ।

३. इस निर्णय के लिए न्यायालय ने आसाम सरकार के प्रतिज्ञापत्र का मुख्य आधार लिया । सरकार ने न्यायालय को कहा था कि, ‘डोलोई समाज स्थानीय प्रशासन की सहायता से अत्यंत अच्छे ढंग से मंदिर का प्रशासन देख रहा है । इस व्यवस्था को जारी रख सकते है । ‘प्रधानमंत्री डिवाईन योजना’ के अंतर्गत कामाख्या मंदिर का विकास बडी मात्रा में करने के लिए हम भी काम कर रहे हैं ।’ यह कहकर सर्वाेच्च न्यायालय ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय का निर्णय निरस्त किया ।

संपादकीय भूमिका 

  • सर्वाेच्च न्यायालय के इस स्वागतार्ह निर्णय का आधार लेकर पूरे देश के हिन्दुओं के मंदिरों का व्यवस्थापन भक्तों के हाथों सौंपने के लिए प्रयत्न होने चाहिए ! इसलिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को अब प्रयत्न करने होंगे !
  • अब हिन्दुओं को ऐसा ही लगता है कि केंद्र की भाजपा सरकार को ही देशभर के सरकारीकरण हुए सहस्रों मंदिरों को भक्तों के हाथों सौंपने के लिए आगे आना चाहिए !