थिरुवनंतपुरम् (केरल) – केरल उच्च न्यायालय ने कुछ दिन पूर्व प्रसारमाध्यमों को न्यायालयीन प्रकरणों की रिपोर्टिंग (वार्तांकन) करते समय सावधान रहने का आवाहन किया है । न्यायालय में अभियोग की सुनवाई के समय न्यायमूर्तियों की मौखिक टिप्पणियों पर आधारित समाचार देते समय प्रसारमाध्यमों को वादि की हानि ध्यान में लेनी चाहिए, ऐसा न्यायमूर्ति ए.के. जयशंकरन नांबियार एवं न्यायमूर्ति मुहम्मद नियास के खंडपीठ ने कहा है । न्यायाधीशों के आदेश के विरुद्ध प्रिया वर्गिस द्वारा प्रविष्ट की हुई याचिका पर सुनवाई करते समय पीठ ने उपरोक्त आवाहन किया । न्यायमूर्तियों ने कन्नूर विद्यापीठ को प्रिया वर्गिस को सहयोगी प्राध्यापक के रूप में नियुक्त करने के लिए उसका पहचानपत्र पुनः जांच करने के निर्देश दिए थे । प्रसारमाध्यमों ने बडी मात्रा में यह समाचार प्रसारित किया था; क्योंकि, प्रिया वर्गिस का विवाह मुख्य मंत्री पिनाराई विजयन के निजी सचिव के.के. रागेश से हुआ था ।
The #KeralaHC has pulled up media for poking its nose in matters involving legal complexities and called for “responsible conduct” even as it upheld the appointment of a CPI (M) leader’s wife as an #associateprofessor.https://t.co/2ywyWdft3H
— The Federal (@TheFederal_News) June 23, 2023
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाय. चंद्रचूड ने भी प्रसारमाध्यमों को न्यायालय के सामने प्रलंबित प्रकरणों पर समाचार प्रसारित करते समय संयम संजोने का आवाहन किया था, खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया ।