केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुसलमानों को किया सावधान !
नई देहली – देश में १९३७ से कोई शरिया कानून नहीं है । तब से इस देश के मुसलमान बिना शरीया के रह रहे हैं । १९३७ में अंग्रेजों ने ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ बनाया एवं उसमें से अपराधियों को दंडित करने का प्रावधान हटा दिया गया । अन्यथा ‘चोर के हाथ काट दो, बलात्कारी को सडक पर पत्थर मार-मार कर मार डालो ।’ किसी भी मुसलमान को बैंक में खाता नहीं खोलना चाहिए और न ही ऋण लेना चाहिए । यदि आप (मुसलमान) शरिया कानून के अंतर्गत रहना चाहते हैं, तो आपको पूरी तरह से (कडी दंड व्यवस्था के साथ) रहना होगा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां एक समाचार वाहिनी के कार्यक्रम में समान नागरिक संहिता पर एक प्रश्न पर स्पष्ट उत्तर दिया । शाह ने यह भी प्रश्न किया कि ‘शरिया कानून का विचार केवल ४ विवाह एवं विवाह विच्छेद के लिए ही क्यों किया जा रहा है ?’
Union Home Minister Amit Shah rebukes Mu$lims.
If Mu$lims want #Sharia law, they must also accept the punishments it entails, like amputation of hands and feet; Amit Shah emphasizes.#UniformCivilCode #LokSabhaElection2024
📹 Video Courtesy : @News18India pic.twitter.com/dFjeqGxdZh— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 22, 2024
१. गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा, ”अंग्रेजों के समय से ही इस देश के मुसलमानों को शरिया से अलग कर दिया गया है और कई इस्लामिक देशों ने भी शरिया से दूरी बना ली है । आज भी, जब कोई दीवानी प्रकरण होता है, तो मुसलमान ‘काजी’ (शरिया कानून के अनुसार न्यायाधीश) के पास नहीं, बल्कि न्यायालय में जाते हैं । क्या राहुल गांधी शरिया कानून लाना और लागू करना चाहते हैं, जहां चोर के हाथ काट दिए जाएं, बलात्कारी को पत्थरों से कुचल कर मार दिया जाए और देशद्रोही को चौराहे पर फांसी दे दी जाए ? कांग्रेस ने देश में केवल ‘मत पेटी´ की राजनीति की है । मुसलमानों को इस छलावे से बाहर आना चाहिए ।
२. गृह मंत्री शाह ने कहा कि समान नागरिक संहिता १९५० से हमारी नीति का मूल सूत्र रहा है । हम इससे दूर नहीं जा सकते । हमारा मानना है कि देश में सभी के लिए एक समान कानून होना चाहिए। उत्तराखंड सरकार यह कानून लेकर आई है । अब इसकी समीक्षा की जायेगी।