Bribe for Vote Case : सभागृह में मतों के लिए घूस लेनेवाले सांसद और विधायकों पर अब होगी कार्यवाही !

सर्वोच्च न्यायालय ने २६ वर्ष पूर्व के अपने निर्णय में किया परिवर्तन !

नई देहली – सर्वोच्च न्यायालय के ७ न्यायमूर्तियों के घटना पीठ ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय दिया है । वर्ष १९९८ में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव द्वारा सरकार की ओर से सांसदों और विधायकों को सभागृह में भाषण देने अथवा मतों के लिए घूस लेने के मामले में उनके विरुद्ध अभियोग चलाने के लिए छूट दी गई थी । उस समय सर्वोच्च न्यायालय में इसके विरुद्ध प्रविष्ट (दाखिल) की याचिका पर ५ न्यायाधिशों के घटना पीठ ने ऐसा निर्णय दिया था कि ‘ऐसे मामलों में लोकप्रतिनिधियों पर अभियोग नहीं चला सकते ।’ अब सर्वोच्च न्यायालय ने अपना ही यह निर्णय निरस्त किया है । न्यायालय ने कहा कि विशेषाधिकार के अंतर्गत अभियोग के लिए छूट देना संभव नहीं होगा ।

१. सर्वोच्च न्यायालय के सामने प्रस्तुत की याचिका में कहा था कि संसद और विधानसभा में दिए अनादरात्मक वक्तव्यों के साथ प्रत्येक प्रकार के कार्याें को कानून से छूट न दी जाए, जिससे कि अपराधात्मक षड्यंत्र के अंतर्गत ऐसा करनेवालों पर कार्यवाही करना संभव होगा ।

२. इस अभियोग के संदर्भ में गत वर्ष अक्टूबर में हुई सुनवाई के समय केंद्र सरकारने सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि घूसखोरी, अभियोग से बचने का विषय नहीं हो सकता । संसदीय विशेषाधिकार का अर्थ किसी भी सांसद अथवा विधायक को कानून से उपर समझना, ऐसा नहीं होता ।