परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘रामराज्य केवल हिन्दू राष्ट्र में ही होगा !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘रामराज्य केवल हिन्दू राष्ट्र में ही होगा !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘भारत विगत ९०० वर्षों से परतंत्र था । इस कारण हिन्दुओं की अनेक पीढ़ियां दासता (गुलामी) में बीती हैं । मन से दासता का यह विष नष्ट करने के लिए हिन्दू राष्ट्र की (ईश्वरीय राज्य की) स्थापना करने के लिए दिन रात प्रयास करना आवश्यक है । ऐसा करने पर ही चार पांच पीढ़ियों में राष्ट्र एवं धर्म के विषय में हिन्दुओं में अभिमान जागृत होगा ।’
‘जहां पृथ्वी के सभी मनुष्य ही नहीं, अपितु वृक्ष, पर्वत, नदियां इत्यादि भी एक समान दिखाई नहीं देते, वहां ‘साम्यवाद’ यह शब्द ही हास्यास्पद नहीं है क्या ?’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘राष्ट्र-धर्म के विषय में अन्यों को ‘कुछ तो करो’, ऐसा बतानेवाले; परंतु स्वयं कुछ न करनेवाले पत्रकार ‘कथनी और करनी में अंतर ॥’ इस कहावत को चरितार्थ करते हैं ।’ – परात्पर गुरु डॉ. आठवले
‘पचले घूस (रिश्वत) लेनेवाले को खोजना पडता था, अब घूस न लेनेवाले को खोजना पडता है !’
‘ईश्वर सर्वत्र हैं, प्रत्येक में हैं’, यह हिन्दू धर्म की शिक्षा होने के कारण हिन्दुओं को अन्य धर्मियों का द्वेष करना नहीं सिखाया जाता ।’
‘हिन्दू राष्ट्र में (सनातन धर्म राज्य में) नियतकालिककों, दूरदर्शनवाहिनियों, जालस्थलों इत्यादि का उपयोग केवल धर्मशिक्षा तथा साधना के लिए किया जाएगा । इसलिए अपराध नहीं होंगे तथा सभी लोग भगवान के आंतरिक सानिध्य में रहने के कारण आनंदी रहेंगे ।’
‘विज्ञान ने विविध यंत्रों का आविष्कार कर मानव का समय बचाया; परन्तु ‘उस समय का सदुपयोग कैसे करें’, यह न सिखाने के कारण मानव की पराकोटि की अधोगति हुई है ।’
श्रीराम स्वयं ईश्वर के अवतार थे । पांडवों के समय पूर्ण अवतार श्रीकृष्ण थे । छत्रपति शिवाजी महाराज के समय समर्थ रामदास स्वामी थे ।
‘नौकरी करनी हो, तो अन्य किसी की करने की अपेक्षा भगवान की करें । भगवान नौकरी के लिए थोडा सा कुछ देने की अपेक्षा सबकुछ देंगे !’