परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘हमारी पीढी ने वर्ष १९७० तक सात्त्विकता अनुभव की; पर आगे की पीढी ने वर्ष २०१८ तक अल्प मात्रा में अनुभव की और आगे वर्ष २०२३ तक अनुभव नहीं कर पाएंगे । उसके उपरांत की पीढी हिन्दू राष्ट्र में सात्त्विकता पुनः अनुभव करेगी !’

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

बुढापा आने पर ही, बुढापा क्या होता है ? यह समझ मे आता है ।  उसका अनुभव होने पर बुढापा देनेवाला पुनर्जन्म नहीं चाहिए, ऐसे लगने लगता है; किन्तु तब तक साधना कर पुनर्जन्म टालने का समय चला गया होता है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

हिन्दुओं, संपूर्ण विश्‍व में ही नहीं, अपितु हिन्दू बहुसंख्यक भारत में भी हिन्दुओं के लिए दुःखदायक समाचार, मृतवत हिन्दुओं के कारण बढ रहे हैं । इससे निराश न होकर साधना करते रहें ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

ईश्‍वरप्राप्ति हेतु तन-मन-धन का त्याग करना पडता है । इसलिए धनप्राप्ति के लिए जीवन व्यर्थ करने की अपेक्षा सेवा करके धन के साथ तन और मन का भी त्याग किया, तो ईश्‍वरप्राप्ति शीघ्र होती है !