कुमकुम लगाने का शास्त्र समझना चाहिए ! – वरिष्ठ अभिनेत्री नयना आपटे

वरिष्ठ अभिनेत्री नयना आपटे

मुंबई – वर्तमान में महिलाएं माथे पर कुमकुम नहीं लगातीं । पहले कुमकुम पेड से बनाया जाता था; परंतु अब बिंदी लगाई जाती है । कुमकुम लगाना योग का एक प्रकार है । कुमकुम सदैव तर्जनी से (करांगुली की बाजू में स्थित) माथे पर लगाया जाता है; क्योंकि वहां कुंडलिनी जागृत होती है । हमारे मस्तिष्क मे मध्य की नस वहां जुडी होती है । प्रतिदिन उस भाग पर मर्दन किया गया, तो उससे संवेदना प्रतीत होकर हमारा मस्तिष्क सतर्क हो जाता है, यह उसका शास्त्र है; ऐसा प्रतिपादन वरिष्ठ नाटक की कलाकार तथा अभिनेत्री नयना आपटे ने किया ।

उन्होंने आगे कहा कि यह शास्त्र किसी को रास नहीं आता अथवा उस विषय में प्रश्न भी नहीं पूछे जाते । यह शास्त्र ठीक से समझाया नहीं जा सकता । उसके कारण ‘इसमें कौनसी बडी बात ?’, इस अवधारणा के कारण कुमकुम लगाया नहीं जाता ।

संपादकीय भूमिका

सनातन संस्था विगत अनेक वर्षाें से विभिन्न माध्यमों से सूक्ष्म-चित्रों की सहायता से कुमकुम लगाने का धर्मशास्त्र, साथ ही कुमकुम लगाने से संबंधित सूक्ष्म की प्रक्रिया समझा रही है । कुमकुम लगाने से स्त्रियों में विद्यमान देवीतत्त्व तथा पुरुषों में विद्यमान शिवतत्त्व जागृत होता है । कुमकुम लगाने के कारण ईश्वर का चैतन्य मिलता है, साथ ही दो भौवों के मध्य में स्थित आज्ञाचक्र की रक्षा होती है !