(और इनकी सुनिए…) ‘समान नागरिकता कानून के कारण जनजातीय समुदायों को मिले विशेष अधिकार नष्ट होंगे !’ – मेघालय का कैथोलिक चर्च

 मेघालय के कैथोलिक चर्च ने समान नागरिकता कानून को दर्शाया तीव्र विरोध !

शिलौंग (मेघालय) – केंद्र सरकार द्वारा लागू किए जा रहे ‘समान नागरिकता कानून’ का  अबतक मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया है । अब इसमें ईसाई चर्च एवं संगठन भी समाहित हो गए हैं । पूर्वोत्तर भारत के एक मुख्य कैथोलिक चर्च ने समान नागरिकता कानून को विरोध दर्शाया है एवं विधि आयोग को पत्र लिखकर इस पर आपत्ति उठाई है । चर्च का कहना है कि संविधान की धारा ३४१ एवं ३४२ में जनजातीय समुदायों को सशक्त करनेवाले विशेष अधिकार एवं सुविधाओं का प्रावधान है । इस कानून के कारण वे नष्ट हो जाएंगे । सरकार को यह कानून लाने की इतनी शीघ्रता क्यों है ?

भारत में समान नागरिकता संहिता लागू न करने का आग्रह करते हुए चर्च ने आगे लिखा है, ‘हमारे देश में विविधता है तथा भारत सरकार से हमारी विनती है कि वे समान नागरिकता कानून लागू न करें ! हमारे राज्य के लोगों को उनकी प्रथा, परंपरा एवं मान्यताओं के प्रति गर्व है । समान नागरिकता कानून के माध्यम से उनको  विकृत करने की अनुमति नहीं दी जा सकती । यह कानून धार्मिक समूहों को उनके धर्म अंगीकार करने की स्वतंत्रता देने के संविधान की धारा २५ के विरुद्ध है ।’

गत माह नागालैंड सरकार ने कहा था कि गृह मंत्री अमित शाह ने अपने प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त किया था, ‘ईसाई समुदाय एवं कुछ जनजातीय क्षेत्रों को समान नागरिकता कानून की परिधि के बाहर रखने का हम विचार कर रहे हैं ।’

संपादकीय भूमिका 

  • भारत के प्रत्येक नागरिक को उचित एवं समान अधिकार प्रदान करनेवाले ‘समान नागरिकता कानून’ के विषय में इस  प्रकार अनुचित प्रचार करनेवाले ईसाई संस्थाओं पर कार्रवाई होनी चाहिए !
  • ‘सर्व धर्मियों से समान बर्ताव करना चाहिए’, ऐसी मांग करनेवाले ईसाई जब उस दृष्टि से सरकार के किए प्रयास का विरोध करते हैं, यह ध्यान में लें !