पाकिस्तान, चीन, रशिया, सौदी अरेबिया और १२ देश धार्मिक स्वतंत्रता का गला घोंट रहे हैं ! – अमेरिका

बाईं ओर अमेरिका के विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन

वॉशिंगटन (अमेरिका) – कुछ देश राजनीतिक लाभ के लिए धर्म अथवा श्रद्धा का पालन करने की स्वतंत्रता विशेष धर्म के नागरिकों को नहीं देते हैं । धार्मिक आचरण करने से उन्हें रोकते हैं । इस कारण भेद निर्माण होता है । विघटन की संभावना निर्माण होती है । आर्थिक सुरक्षा, राजनीतिक स्थिरता और शांति खतरे में पडती है । ऐसी गलत प्रथाओं को अमेरिका का समर्थन नहीं होगा, ऐसा अमेरिका के विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है । इस समय उन्होंने पाकिस्तान, चीन, रशिया, म्यानमार, क्युबा, इरिट्रिया, इरान, निकारागुवे, उत्तर कोरिया, सौदी अरेबिया, तजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान इन १२ देशों में धार्मिक स्वतंत्रता के विषय में चिंताजनक वातावरण होने की भी बात कही है ।

१. ब्लिंकन ने कहा कि, विश्व के विविध देशों में सरकारी तंत्र अथवा गैर सरकारी तंत्र धार्मिक कारणों से नागरिकों को कष्ट देते हैं, धमकाते हैं, कारागृह में डालते हैं अथवा उनकी हत्या करते हैं । धार्मिक स्वतंत्रता और अन्य मानव अधिकारों की प्रभावी रुप से रक्षा करने वाले देश अधिक शांतिपूर्ण, स्थिर, समृद्ध और अधिक विश्वासपात्र अमेरिका के मित्र होंगे । धार्मिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों का उल्लंघन करने वाले देश अमेरिका के लिए विश्वासपात्र साथीदार नहीं होंगे, ऐसा भी उन्होंने इस समय स्पष्ट किया ।

२. अमेरिका ने अल्-शबाब, बोको हराम, हयार तहरीर अल-शाम, हौथी, आयसिस-ग्रेटर सहारा, आयसिस-पश्चिम अफ्रीका, जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन, तालिबान और मध्य अफ्रीकी देशों में कार्यरत वैगनर समूह इन जिहादी संगठनों को ‘विशेष खतरनाक’ संगठनों की श्रेणी में रखा है ।

संपादकीय भूमिका

  • इसके पहले अमेरिका ने भारत के विषय में भी इसी प्रकार के विधान किए थे । इस पर भारत ने अमेरिका को फटकार लगाई थी । इस कारण अमेरिका ने अब भारत का नाम नहीं लिया, तो जहां सच्चे अर्थ में धार्मिक स्वतंत्रता का गला घोंटा जाता है, ऐसे कुछ देशों के नाम लिए हैं, यह विशेष है !
  • अमेरिका को अन्य देशों की धार्मिक स्वतंत्रता के विषय में बोलते समय स्वयं के देश में वर्णद्वेष के कारण धार्मिक स्वतंत्रता का गला घोंटा जा रहा है, इस विषय में मुंह खोलना चाहिए !