सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
प्रेम से दीर्घकाल बना रहनेवाला सुख मिलता है; जबकि शारीरिक संबंधों से तात्कालिक सुख मिलता है !
प्रेम से दीर्घकाल बना रहनेवाला सुख मिलता है; जबकि शारीरिक संबंधों से तात्कालिक सुख मिलता है !
वर्ष २०२३ से हिन्दुओं के लिए काल पूरक हो जाएगा और वह १००० वर्षों तक पूरक ही रहेगा’, ऐसा अनेक संतों ने एवं नाडीभविष्य में बताया है ।
नेताओं का पद न रहने पर किसी को उनका नाम भी याद नहीं रहता । इसके विपरीत सच्चे संतों से जनता को कुछ नहीं चाहिए । उल्टे लोग सच्चे संतों को कुछ अर्पण करते हैं। उनके द्वारा बताई साधना करते हैं और साधना में प्रगति करते हैं ।
‘केवल हिन्दू धर्म के ग्रंथों में ही विश्व की रचना, अणु-परमाणु अदृश्य सृष्टि, पाप-पुण्य, अनिष्ट शक्ति जनित कष्ट कैसे दूर करें, ईश्वरप्राप्ति कैसे करें इत्यादि की संपूर्ण जानकारी दी है । अन्य कुछ धर्मों में उसका उल्लेख हो, तो वह केवल शब्दों तक ही सीमित है ।’
‘हिन्दू धर्म ‘ईश्वरप्राप्ति कैसे करनी चाहिए’, यह सिखाता है; जबकि अन्य धर्म दूसरों पर आक्रमण कर, उन्हें अपना धर्म स्वीकारने हेतु विवश करते हैं ।’
‘हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई’ अथवा ‘हिन्दू-चीनी भाई-भाई’, ऐसा कहनेवालों को भारत-पाक अथवा भारत-चीन सीमारेखा पर लडने के लिए भेजना चाहिए ।’
‘वर्ष १९७१ के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान की सहायता के लिए नौसेना भेजने के इच्छुक चीन का कपटी षड्यंत्र ध्यान में रखकर, आर्थिक नीति बनाने पर ही भारत महासत्ता बन सकेगा !’
‘संसार के एकमात्र हिन्दू राष्ट्र नेपाल को चीन के कारण साम्यवादी बनाया गया, यह देश के हिन्दू कभी न भूलें !’
‘१९६२ के युद्ध में भारत की भूमि चीन ने हडप ली, यह राष्ट्रीय अपमान है । इसे भूल जानेवालों को देश में रहने का क्या अधिकार है ?’
‘हिन्दू-चीनी भाई-भाई’, ऐसा कहनेवाले चीन के आक्रमण में मर जाएं, तो किसी को दुख क्यों होना चाहिए ?’