#Diwali : बलिप्रतिपदा

बलिप्रतिपदाके दिन प्रातः अभ्यंगस्नानके उपरांत सुहागिनें अपने पतिका औक्षण करती हैं । दोपहरको भोजनमें विविध पकवान बनाए जाते हैं । इस दिन लोग नए वस्त्र धारण करते हैं एवं संपूर्ण दिन आनंदमें बिताते हैं ।

#Diwali : नरकचतुर्दशी के दिन की जानेवाली धार्मिक विधियां

नरक चतुर्दशी पर अभ्यंगस्नान एवं यमतर्पण करनेके उपरांत देवताओं का पूजन करते हैं । सूर्यदेव एवं कुलदेवता को नमस्कार करते हैं । इसके उपरांत दोपहर ब्राह्मणभोजन कराते हैं ।

#Diwali : धनत्रयोदशी के दिन यमदीपदान करने का अध्यात्मशास्त्रीय महत्त्व

दीप प्राणशक्ति एवं तेजस्वरूप शक्ति प्रदान करता है । दीपदान करने से व्यक्ति को तेज की प्राप्ति होती है । इससे उसकी प्राणशक्ति में वृद्धि होती है और उसे दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है ।

#Diwali गोवत्सद्वादशी का महत्त्व

वसुबारस अर्थात गोवत्स द्वादशी दीपावली के आरंभ में आती है । यह गोमाता का सवत्स अर्थात उसके बछडे के साथ पूजन करने का दिन है ।

#Diwali दिवाली लक्ष्मी पूजा दिन की श्री लक्ष्मीपूजन विधि

आश्विन अमावस्या अर्थात दिवाली में लक्ष्मी पूजा के दिन सर्व मंदिरों, दुकानों तथा घरों में श्री लक्ष्मीपूजन किया जाता है । यहां, इस पूजा की सरल भाषा में शास्त्रीय जानकारी दी है ।

#Diwali भावपूर्ण दीपावली कैसे मनाएं ?

‘अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जानेवाला त्यौहार है दिवाली ! ‘दिवाली अर्थात उत्साह । दिवाली अर्थात आनंद’, ऐसा विचार करनेपर साधकों के जीवन में केवल गुरु भगवान की कृपा के कारण इतना आनंद होता है कि हम प्रत्येक क्षण दिवाली अनुभव करते हैं ।

#Diwali : ‘दीपावली’

वसुबारस अर्थात् गोवत्स द्वादशी दीपावलीके आरंभमें आती है । यह गोमाताका सवत्स अर्थात् उसके बछडेके साथ पूजन करनेका दिन है । शक संवत अनुसार आश्विन कृष्ण द्वादशी तथा विक्रम संवत अनुसार कार्तिक कृष्ण द्वादशी गोवत्स द्वादशीके नामसे जानी जाती है ।

लक्ष्मीपूजन

सामान्यतः अमावस्या अशुभ मानी जाती है; यह नियम इस अमावस्या पर लागू नहीं होता है । यह दिन शुभ माना जाता है; परंतु समस्त कार्यों के लिए नहीं । अतः इसे शुभ कहने की अपेक्षा आनंद का दिन, प्रसन्नता का दिन कहना उचित होगा ।

बलि प्रतिपदा (दीपावली पडवा)

यह साढे तीन मुहूर्तों में से अर्द्ध मुहूर्त है । इसे ‘विक्रम संवत’ कालगणना के वर्षारंभ दिन के रूप में मनाया जाता है ।

तुलसी विवाह

श्रीविष्णु (बालकृष्ण की मूर्ति) का तुलसी से विवाह करने की यह विधि है । इस हेतु, विवाह के पहले दिन तुलसी वृंदावन को रंग लगाकर सुशोभित करते हैं । वृंदावन में गन्ना, गेंदे के पुष्प चढाते हैं एवं जड के पास इमली और आंवला रखते हैं ।