श्रीराम का अपमान

 

गाल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती के निमित्त आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी आमंत्रित थीं । जब सूत्रसंचालक ने उन्हें भाषण हेतु आमंत्रित किया, तब भाषण आरंभ होने के पहले उपस्थित श्रोताओं ने जय श्रीराम और भारतमाता की जय के नारे लगाए । नारे सुनकर ममता दीदी सिर से पैर तक जल-भुन गईं और कहा, किसी को आमंत्रित कर अपमानित करना अनुचित है । उनके इस बयान से इस देश और हिन्दुओं का ही अपमान हुआ है; क्योंकि जिनकी तपस्या, चैतन्य से यह देश चल रहा है, उन अयोध्यापति श्रीराम और समस्त हिन्दू जनता ही अपमानित हुई है । ममता दीदी तो एक राज्य की मुख्यमंत्री हैं । जिन्हें देवता औरदेश भक्ति की घोषणाएं सुनकर अपमानित अनुभव हो, ऐसे लोगों को भारतीय कहना क्या उचित होगा ?

अहंकारी ममता बानो !

श्रीराम भारत की आत्मा हैं, देश का गौरव हैं । भारतमाता, देश की पहचान है । यह घोषणा सुनकर किसी भी भारतीय की छाती गर्व से फूल जाती है, कठिन-से-कठिन कार्य सफल होने का आत्मविश्‍वास उत्पन्न होता है । फिर भी, ममता दीदी को भयंकर क्रोध हुआ, जो अकल्पनीय है !रामायणकाल में रावण, कंस और अन्य राक्षसों को श्रीराम का नाम सुनने पर बहुत क्रोध होता था । उनके राज्य में श्रीराम का नाम लेने से ही दंड दिया जाता था । अहंकार, क्रोध, स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझना, तानाशाही वृत्ति आदि दोष रावण में कूट-कूट कर भरे थे । यही दोष ममता (बानो)जैसे राजनीतिज्ञों में हैं । कुछ दिन पहले जब वाहनों का काफिला बंगाल के एक गांव से जा रहा था, तब वहां के लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाए । उस समय भी ममता दीदी ने घोषणा करनेवालों को भला-बुरा कहा । पश्‍चात, उनके विरुद्ध कार्यवाही की गई । ममता बानो का यह विक्षिप्त व्यवहार कोई नई बात नहीं है । किंतु, विशेष अवसरों पर वे इस प्रकार का आचरण करती हैं । इससे सिद्ध होता है कि उनकी इस देश के प्रति निष्ठा नहीं है ।

अल्पसंख्यकों पर ममता की कृपादृष्टि !

बंगाल में करोडों बांग्लादेशियों ने तथा उसके पश्‍चात रोहिंग्याओं ने घुसपैठ की है । अब वहां के कुछ क्षेत्रों में परिस्थिति ऐसी बन गई है कि धर्मांध बांग्लादेशी घुसपैठिए अपने प्रत्याशी को जिता सकते हैं । ममता बानो के समर्थन के कारण उन्हें राशनकार्ड,निर्वाचन परिचय पत्र, निवासी प्रमाणपत्र सरलता से मिल जाते हैं और वे यहीं के निवासी हैं, इस प्रकार से रहने लगते हैं । इन बांग्लादेशियों को देश से बाहर करने का प्रयत्न करने पर इसका कडा विरोध किया जाता है । केंद्र सरकार कोई भी योजना लाए अथवा विधेयक लाए, बंगाल में ममता बानो विरोध अवश्य करती हैं । वर्ष २०१९ और २०२० के आरंभ में बंगाल में प्रतिदिन हिंसाचार की घटनाएं बढ रही थीं । इसमें विशेष बात यह थी कि इन घटनाओं की जानकारी वहां के समाचारपत्रों अथवा अन्य माध्यमों से देश को पता नहीं चलती थीं; परंतु सामाजिक माध्यमों से वहां की भीषण परिस्थिति की जानकारी होती थी । हिन्दुओं की बस्तियां, मंदिर, हिन्दू जनता पर होनेवाले इन आक्रमणों में हिन्दुओं की अपरिमित हानि हुई । तत्कालीन राज्यपाल महोदय ने यह परिस्थिति देखकर कहा था कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना पडेगा । कल-परसों की ही बात है, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के वाहनों के काफिले पर एक गांव में प्रचंड पथराव किया गया, जिसमें अनेक वाहनों की भारी क्षति हुई । वर्ष २०१९ में हुए चुनाव के समय तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह के जनमोर्चे के समय आगजनी की घटनाएं हुईं । उस समय केंद्रीय सुरक्षा बल के पुलिसकर्मियों ने परिस्थिति को संभाल लिया । स्वयं अमित शाह ने कहा था, पुलिस के इन जवानों के कारण मेरे प्राण बचे। जब देश के गृहमंत्री पर एक राज्य में ऐसी परिस्थिति आ रही है, तब वहां के सामान्य हिन्दुओं की अवस्था कैसी होगी ? भाजपा के सामान्य कार्यकर्ताओं के शव कुछ दिनों के अंतर से कभी पेड से लटके हुए, कभी किसी मैदान में पडे हुए, तो कभी पान की दुकान के पास मिलते हैं । इतना ही नहीं, भाजपा के विधायक का शव भरे बाजार में एक पेड पर लटका हुआ मिला । इतनी भयानक स्थिति किसी राज्य में होने पर केंद्र सरकार को वहां सेना भेजकर वहां की गुंडई समाप्त करना आवश्यक था; परंतु ऐसा नहीं हुआ। ये सब रावणराज्य के उदाहरण हैं ।

आज भी ऐसे अनेक लोग हैं, जिन्हें रामसेतु, राममंदिर, रामायण, इन शब्दों की एलर्जी है । उन्हें श्रीराम, सांप्रदायिक तथा रावण दलितों का राजा लगता है । ऐसे लोग जिन राज्यों के प्रमुख होंगे, वहां अशांति, अस्थिरता और वैमनस्यता रहेगी ही । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राममंदिर का भूमिपूजन किया । किसी समय क्रांतिकारियों और संतों की भूमि रहा बंगाल, आज देशद्रोहियों का गढ बन गया है । मोदीजी, यह गढ जीतकर रावणराज्य समाप्त करें, यह देशवासियों की इच्छा है । यह इच्छा वे श्रीरामजी की कृपा से अवश्य पूरा करेंगे, ऐसा विश्‍वास है ।