मुखौटे के पीछे का सत्‍य !


अमेरिका में राष्‍ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार चरम पर है । इस पद के लिए सार्वजनिक मतदान ३ नवंबर को होनेवाला है । इसके पश्‍चात निश्‍चित होगा कि डोनाल्‍ड ट्रम्‍प पुनः राष्‍ट्रपति बनेंगे अथवा प्रतिद्वंदी डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन । अभी इन चर्चाआें में सबसे अधिक चर्चा का विषय बनी हैं, कमला हैरिस । कमला हैरिस बाइडेन की निकटवर्ती हैं । बाइडेन के जीतने पर, कमला हैरिस उपराष्‍ट्रपति पद पर विराजमान होंगी ।

कमला हैरिस की मां भारतीय हैं और वे अमेरिका में बस गई हैं । उनका पालन-पोषण अमेरिका में ही हुआ है । उनके पति यहूदी हैं । ये कुछ वर्षों से अमेरिकी राजनीति में सक्रिय हैं । पिछले वर्ष उन्‍होंने कहा था कि अमेरिका के अगले राष्‍ट्रपति पद के चुनाव में बाइडेन को जिताने के लिए पूरा प्रयत्न करूंगी । एक भारतवंशी महिला का अमेरिका की राजनीति में और वह भी उपराष्‍ट्रपति पद के चुनाव में उतरना हम भारतीयों के लिए तथा अमेरिका में बसे भारतीयों के लिए भी अभिमान का विषय हो सकता है; परंतु उनका नाम ‘कमला’ होने मात्र से भारतीयों को खुश होने की आवश्‍यकता नहीं है । इसका कारण यह है कि यद्यपि वे भारतीय पदार्थ दही-भात, इडली, दाल खाकर पली-बढी हैं और उनकी मां ने उन्‍हें भारतीय मूल से जोडे रखा है; फिर भी उनमें भारतीयता कितनी आ पाई है, यह प्रश्‍न अवश्‍य उपस्‍थित होता है ।

कश्‍मीर के विषय में अज्ञान !

इसका कारण कुछ दिन पहले भारत की एक ज्‍वलंत समस्‍या कश्‍मीर के विषय में व्‍यक्‍त उनके मत को बताया । कश्‍मीर के विषय में उन्‍होंने कहा था, ‘‘मैं वहां के लोगों से यह कहना चाहती हूं कि वे अकेले (उत्‍पीडित लोग) नहीं हैं । हमारा ध्‍यान उनकी ओर है । मानव अधिकारों के उल्लंघन के विषय में निरंतर बोलते रहना, जहां आवश्‍यक लगे वहां हस्‍तक्षेप करना, एक देश के नाते यह हमारे नैतिक मूल्‍यों का भाग है ।’’ वर्ष २०१९ में अमेरिका के टेक्‍सास में एक कार्यक्रम में जब उनसे कश्‍मीर में दूरभाष और इंटरनेट पर लगे प्रतिबंध और वहां के कुछ लोगों को गिरफ्‍तार करने के विषय में पूछा गया, तब उन्‍होंने उपर्युक्‍त विचार व्‍यक्‍त किया था । कमला हैरिस का कश्‍मीर विषय के संबंध में यह अत्‍यंत अज्ञानमूलक और पूर्वाग्रहग्रस्‍त बयान कहा जाएगा । एक बडे विकसित देश में महत्त्वपूर्ण पद के लिए चुनाव लडनेवाले व्‍यक्‍ति का दूसरे देश के महत्त्वपूर्ण विषय में सत्‍य जाने बिना बयान देना, सर्वथा निंदनीय है ।

जो बाइडेन ने अपनी पुस्‍तक, ‘विजन डॉक्‍यूमेंट’ में कश्‍मीर और एनआरसी (राष्‍ट्रीय नागरिकता पंजी) का उल्लेख किया है, जो अनेक लोगों को अच्‍छा नहीं लगा । इसका संबंध हैरिस के विचारों से बताया जा रहा है । भारत सरकार ने जिस पद्धति से असम में एनआरसी लागू किया और उसके पश्‍चात नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पारित किया, उससे बाइडेन रुष्‍ट हैं, ऐसा कहा जा रहा है । इससे, कमला हैरिस और बाइडेन की भारतविरोधी और विशेष रूप से हिन्‍दूविरोधी भूमिका दिखाई देती है ।

जागरूकता आवश्‍यक !

कश्‍मीर में गत ३ दशकों से स्‍थानीय हिन्‍दुआें का वंशसंहार किया जा रहा है । उनपर अनगिनत अत्‍याचार किए जा रहे हैं । असम में बांग्‍लादेशी घुसपैठ की समस्‍या अति उग्र है । भारत में हिन्‍दू समाज बहुसंख्‍यक होने पर भी यहां के धर्मांध दंगे कर हिन्‍दुआें के जन-धन की बडी हानि करते हैं । हिन्‍दुत्‍वनिष्‍ठ नेताआें, कार्यकर्ताआें की हत्‍या योजनाबद्ध ढंग से करते हैं । इस विषय में कमला हैरिस और बाइडेन का एक भी शब्‍द न बोलना, क्‍या आश्‍चर्यजनक नहीं है ? उनके अपने ही देश में कृष्‍णवर्णीय लोगों से अन्‍यायपूर्ण व्‍यवहार किया जाता है । मैक्‍सिको से अन्‍न और नौकरी के लिए अमेरिका में घुसने का प्रयत्न करनेवालों को पीट-पीट कर भगा दिया जाता है । वहां से कोई अमेरिका में न घुस सके; इसके लिए ऊंची दीवार खडी कर दी जाती है । जब उनके ही देश में ऐसी परिस्‍थिति है, तब हजारों किलोमीटर दूर स्‍थित भारतीय नागरिकों को सतानेवाले प्रश्‍नों के विषय में लिए गए भारत सरकार के निर्णयों के विषय में असत्‍य बातें कहकर ये दोनों महाशय भारत की छवि मलिन करने का प्रयत्न क्‍यों कर रहे हैं ? उनके इस असत्‍य कथन पर प्रतिक्रिया देना न केवल भारत सरकार से अपेक्षित है; अपितु अमेरिका में बसे भारतीयों से भी है । वे इस चुनाव में हैरिस और बाइडेन को पराजित कर दिखा दें कि भारतीयों की उपेक्षा करनेवालों की क्‍या स्‍थिति होती है ।

पाकिस्‍तानी नेताआें को लगता है कि ‘कमला हैरिस के चुनकर आने से उन्‍हें धोखा नहीं है, वे चलेंगी ।’ क्‍योंकि, कश्‍मीर के विषय में कमला हैरिस के विचार पाकिस्‍तान के अनुकूल हैं । मूल भारतीय वंश के बॉबी जिंदल हों अथवा भारतीय वंश की ही अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल हों, ये केवल नाम से भारतीय लगते हैं; इसलिए वे भारत के लिए कुछ करेंगे, ऐसी आशा नहीं करनी चाहिए । हैरिस को लगता है कि उनके ऐसे विचारों से और बाइडेन की भारतीय अल्‍पसंख्‍यकों के प्रति तुष्‍टीकरण की नीति के कारण भी अमेरिका के प्रवासी भारतीय, जिनमें अधिकतर हिन्‍दू हैं, उनके पक्ष में मतदान करेंगे । अमेरिका के प्रवासी भारतीय इन मुखौटा धारियों को न भूलें और उनका असली चेहरा ध्‍यान में रखकर मतदान करें, यही हम भारतीयों की अपेक्षा है !