स्‍वधर्म रक्षा हेतु कश्‍मीरी हिन्‍दू हुए थे विस्‍थापित !

कश्‍मीरी हिन्‍दुआें को १९ जनवरी १९९० में अपने ही घरों से खदेड दिया गया । कश्‍मीर से बेघर हुए साढे चार लाख हिन्‍दुओं के सुख-संपन्‍न घरों को आतंकवादियों ने नष्‍ट किया और कौडी के मोल में बेच दिया ।

‘महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय’ को चित्रीकरण के लिए जंक्‍शन बॉक्‍स तथा अन्‍य उपकरणों की आवश्‍यकता !

‘रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में ‘महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय’ द्वारा विशेषतापूर्ण घटनाआें का चित्रीकरण कर अनुसंधानात्‍मक अध्‍ययन किया जा रहा है । अत्‍याधुनिक तंत्रज्ञान की सहायता से चित्रीकरण करने से वे आगे के समय के लिए अधिक उपयुक्‍त हो सकते हैं ।

पितृपक्ष (महालय पक्ष) (आरंभ : २ सितंबर)

पितृपक्ष में दत्तात्रेय देवता का नाम जपने का महत्त्व : पितृपक्ष में ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप अधिकाधिक करने से पितरों को गति प्राप्‍त होने में सहायता मिलती है । 

अधिक मास में सनातन संस्‍था के ग्रंथ और लघुग्रंथ अन्‍यों को देकर सर्वश्रेष्‍ठ ज्ञानदान का फल प्राप्‍त करें !

सभी पाठकों, हितचिंतकों और धर्मप्रेमियों से विनम्र अनुरोध ! १. अधिक मास में ज्ञानदान का विशेष महत्त्व ! १८.९.२०२० से १६.१०.२०२० की अवधि में ‘अधिक मास’ है । शास्‍त्रकारों ने ‘अधिक मास में मंगलकार्य न कर विशेष व्रत और पुण्‍यकारी कृत्‍य करने चाहिए’, ऐसा बताया है । इस मास में दान देने से उसका कई … Read more

पूर्वजों के कष्‍ट दूर होने हेतु पितृपक्ष में नामजप, प्रार्थना और श्राद्धविधि करें !

‘आजकल अनेक साधकों को अनिष्‍ट शक्‍तियों के कष्‍ट हो रहे हैं । पितृपक्ष के काल में (२ से १७ सितंबर २०२० की अवधि में) इन कष्‍टों के बढने से इस अवधि में प्रतिदिन न्‍यूनतम १ घंटा ‘ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ ॐ’ नामजप करें ।

‘हिन्‍दी कौनसी ? संस्‍कृतनिष्‍ठ हिन्‍दी अथवा फारसीनिष्‍ठ ‘हिन्‍दुस्‍तानी’ ?’

वर्तमान में हमारे द्वारा उपयोग में लाई जानेवाली हिन्‍दी, शुद्ध नहीं; वह अरबी-फारसी-उर्दू-मिश्रित हिन्‍दी भाषा है । विदेशियों ने स्‍थूल आक्रमण के उपरांत भाषा पर आक्रमण किया ।

क्‍या बीती कश्‍मीरी हिन्‍दुओं पर ?

एक परिवार के लिए एक ही झोपडी; ४ हजार लोगों के लिए एक ही शौचालय; अन्‍न, जल इत्‍यादि मूलभूत सुविधाओं का अभाव !
…ऐसी स्‍थिति में कश्‍मीरी शरणार्थी यातनाओं से भरा जीवन जी रहे हैं !

स्‍थानीय लोगों द्वारा विरोध करने से एक राज्‍य के एक धर्माभिमानी ने ‘अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ में सम्‍मिलित होना रद्द किया !

यह है धर्मांध ईसाईयों की उद्दंडता ! इससे ‘प्रेम एवं शांति’ की बातें करनेवाले धर्मांधों का वास्‍तविक चेहरा सामने आता है ! ऐसे धर्मांध ईसाई भारत की अखंडता के लिए संकट हैं, यह समझें !

साधको, ‘ईश्‍वर द्वारा ली जानेवाली साधना की प्रत्‍येक परीक्षा में उत्तीर्ण होना ही वास्‍तविक आध्‍यात्मिक प्रगति है’, इसे ध्‍यान में लें !

६० प्रतिशत अथवा उसके आगे का स्‍तर प्राप्‍त करना आध्‍यात्मिक उन्‍नति का केवल दृश्‍य स्‍वरूप है; किंतु वास्‍तविक प्रगति होती है ईश्‍वर द्वारा ली जानेवाली साधना की प्रत्‍येक परीक्षा में उत्तीर्ण होना !