संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के विरोध में प्रस्ताव के समय भारत अनुपस्थित !

श्रीलंका में तमिलों पर हो रहे अत्याचारों का मामला

श्रीलंका को चीन से दूर रखने के लिए भारत का कूटनीतिक खेल हो सकता है; लेकिन ऐसे में वहां के तमिल लोगों पर हो रहे अन्यायों पर कब बोलेंगे ? पाक, बांगलादेश, अफगानिस्तान आदि पडोसी देशों के हिंदूओं का कोई संरक्षक नही है । उसी प्रकार अब श्रीलंका के हिंदूओं की स्थिति होने वाली है क्या ? भारत सरकार को श्रीलंका के तमिल हिंदूओं को आश्वस्त करने के लिए कदम उठाना आवश्यक !


जिनेवा (स्विटजरलैंड) – श्रीलंका सरकार द्वारा वहां के तमिल नागरिकों पर हो रहे अत्याचारों का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में प्रस्तुत किया गया । इस प्रस्ताव पर मतदान के समय भारत अनुपस्थित रहा । श्रीलंका ने इस प्रस्ताव पर भारत का सहकार्य मांगा था । इसके लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर भी चर्चा की थी; लेकिन भारत श्रीलंका को सीधे सहयोग न देते हुए मतदान के समय अनुपस्थित रहा ।

‘श्रीलंका सरकार तमिल नागरिकों पर अत्याचार कर मानवाधिकार का उल्लंघन कर रही है’, इस प्रस्ताव के समर्थन में यदि भारत ने मतदान किया होता, तो श्रीलंका के अप्रसन्न होने की संभावना अधिक थी । इससे चीन ने पुन: एकबार चीन की ओर जाने का प्रयास किया होता । यदि भारत ने इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया होता, तो तमिलनाडु के तमिल नागरिक अप्रसन्न हो जाते, ऐसा राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है ।