जिला न्यायालय की ओर से केंद्र, राज्य और ६ पक्षकारों को उत्तर देने का आदेश

वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के स्थान पर बनी ज्ञानवापी मस्जिद हटाकर वहां मंदिर बांधने की अनुमति देने की मांग

हिंदू बाहुल्य देश में हिंदूओं को उनका प्रत्येक न्याय पाने के लिए न्यायालयीन या अन्य स्तरों पर लंबी लडाई लडनी पडती है, यह लज्जास्पद ! हिंदूओं को उनका अधिकार मिलने के लिए हिंदू राष्ट्र ही चाहिए !

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद जिस स्थान पर है, वहां प्रार्थना और पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए, साथ ही वहां पर नया मंदिर बनाना चाहिए, इसके लिए वाराणसी के जिला सत्र न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की गई है । इस मामले में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और इस मामले के ६ पक्षकारों से उत्तर मांगा गया है । काशी विश्वनाथ मंदिर गिराकर ज्ञानवापी मस्जिद बांधी गई थी ।

१. केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के अतिरिक्त न्यायालय ने जिलाधिकारी, वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, उत्तर प्रदेश मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद के व्यवस्थापक मंडल और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के विश्वस्त मंडल को भी नोटिस भेजा गया है । इन सभी पक्षों को २ एप्रेल तक उनके उत्तर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने हैं । इस मामले की अगली सुनवाई ९ एप्रेल को होनी है ।

२. इस मुकदमें में याचिकाकर्ता सनातन धर्म के अनुयायी और शिवभक्तों ने न्यायालय को एक आदेश पारित करने की प्रार्थना की है । ऐसा आदेश पारित होने पर विवादित स्थान पर विराजमान भगवान हनुमान, देवी मा गौरी और अन्य सहयोगी देवताओं की प्रार्थना करने की अनुमति भक्तों को मिलेगी ।

३. विवादित स्थान के देवता शिव हैं । वर्ष १६६९ में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर मंदिर गिराया गया था और प्राचीन मंदिर के अवशेष अभी भी ज्ञानवापी मस्जिद की इमारत में देखे जा सकते हैं ।

४. आगे कहा कि विवादित स्थान का ढांचा गिराकर वहां मंदिर बनाने का काम चालू होने पर उसमें प्रतिवादी हस्तक्षेप ना करें, ऐसा आदेश न्यायालय को देना चाहिए, ऐसी मांग भी याचिका में की गई है ।

५. मथुरा में भी एक न्यायालय में कृष्ण जन्म भूमि के संबंध में इस प्रकार की याचिका पर सुनवाई चालू है ।