अभिनेत्री दीया मिर्जा ने अपनी शादी में कन्यादान परंपरा को छोड़ दिया !

(कहते हैं) ‘परिवर्तन पसंद के अनुसार चालू होता है !’ – दीया मिर्जा का विधान

कन्यादान करने वाले व्यक्ति के पीछे की १२ पीढियां, आगे की १२ पीढी और स्वयं की १ पीढी का उद्धार होता है, ऐसा धर्मशास्त्र कहता है । विवाह के समय दूल्हे का लक्ष्मीनारायण के रुप में पूजन किया जाता है और वैसा भाव रखकर सभी विधियां करने पर उसका सभी को आध्यात्मिक स्तर पर लाभ होता है; लेकिन प्रगतिशीलता को बढावा देने के लिए ऐसी परंपराओं को छोड कर उनका समर्थन करने की होड लगी है । हिंदुओं को इससे सावधान रहना चाहिए !

दिया मिर्जा ने स्वयं के विवाह का पौरोहित्य शीला अट्टा नामक एक महिला पुरोहित द्वारा करवा लिया

मुंबई – प्रसिद्ध अभिनेत्री दीया मिर्जा ने उद्योगपति वैभव रेखी से १५ फरवरी के दिन हिंदू पद्धति से विवाह किया । यह उनका दूसरा विवाह है ।

विवाह का पौरोहित्य शीला अट्टा नामक महिला पुरोहित ने किया । इस समय कन्यादान भी नहीं किया गया । इस विषय पर दीया मिर्जा ने ट्वीट कर कहा, ‘परिवर्तन पसंद के अनुसार चालू होता है । महिआओं का स्वयं के लिए स्वयं नियम बनाने का यह समय है ।’