ईसाई और इस्लाम धर्म स्वीकारने वाले दलित को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा ! – केंद्र सरकार

‘आरक्षण का लाभ केवल १० वर्षों तक देना चाहिए’, ऐसा संविधान लिखने वाले डा. बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था । आरक्षण के विषय में उनकी सूचनाओं का पालन करने पर देश की निश्चित ही प्रगति होगी !

नई दिल्ली – जिस दलित नागरिक ने ईसाई या इस्लाम धर्म स्वीकार किया है वो लोकसभा या विधानसभा चुनाव में अनुसुचित जाति के आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता है । वह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित स्थान से चुनाव नहीं लड सकता । इसके अतिरिक्त उन्हें अनुसूचित जाति के आरक्षण के अन्य कोई भी लाभ नहीं ले सकते, ऐसा केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में घोषित किया ।

कानून मंत्री प्रसाद ने कहा कि, संविधान के अनुच्छेद ३ में अनुसूचित जाति के विषय में कहा है कि, हिंदु, सिख या बौद्ध धर्म के अतिरिक्त किसी भी धर्म का व्यक्ति अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता है । वर्ष १९५० में पूर्व प्रधानमंत्री नेहरु की सरकार ने अनुसूचित जाति की व्याख्या स्पष्ट करते हुए ‘केवल हिंदु धर्म में आस्था रखने वाला व्यक्ति’ ऐसी की थी । बाद में वर्ष १९५६ में इस व्याख्या की व्याप्ति बढाकर हिंदु, सिख और बौद्ध इनका भी समावेश कर व्याप्ति को बढाया गया ।