६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त धनबाद (झारखंड) की श्रीमती चारु खैतान का निधन

श्रीमती चारु खैतान

     धनबाद (झारखंड) – यहां की ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त सनातन की साधिका श्रीमती चारु खैतान (आयु ५६ वर्ष) का लंबी बीमारी के पश्‍चात १० जून को निधन हुआ । उनके पश्‍चात उनके पति, पुत्र, पुत्री एवं जमाई हैं । श्रीमती खैतान की जेठानी श्रीमती मीनू खैतान भी सनातन की साधिका हैं । सनातन परिवार खैतान परिवार के दुःख में सहभागी है ।

गंभीर रुग्ण स्थिति में भी स्थिर और सकारात्मक
रहकर लगन से
आध्यात्मिक उपाय करनेवाली
धनबाद, झारखंड की श्रीमती चारु खैतान
६१ प्रतिशत
आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर जन्म-मृत्यु के फेरे से मुक्त (आयु ५६ वर्ष) !

१. निर्मलता (बाल-भाव)

     ‘मैं चारु दीदी से जब मिलता था, तब बच्चे जैसे अपनी मां को सबकुछ बताते हैं, वैसे ही वे अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिति के विषय में बताती थीं । उस समय मुझे उनकी वाणी की निर्मलता ध्यान में आती थी । उनका यह भाव रहता था कि वे यह सब परात्पर गुरु डॉक्टर आठवलेजी को ही बता रही हूं’ ।

२. प्रेमभाव

     एक बार मैं चारु दीदी से मिलने गया था । उसके एक दिन पूर्व ही उनकी कीमोथेरेपी हुई थी । जब उन्हें पता चला कि मैं जहां निवास हेतु हूं, वहां भोजन की अडचन है तो उन्होंने मुझे खाऊ दिया । स्वयं की शारीरिक अस्वस्थता के बाद भी, उनमें विद्यमान प्रेमभाव के कारण उनसे यह कृति हुई, यह सीखने को मिला ।

३. परिस्थिति स्वीकार करना

चारु दीदी को उनकी बिमारी के बारे में जानकारी मिलने के बाद भी वे परिस्थिति स्वीकार कर सकारात्मकता से उपायों की ओर ध्यान देकर आनंदी रहने का प्रयास करती थीं ।

– श्री शंभू गवारे

४. उपायों के प्रति श्रद्धा !

४ अ. शारीरिक रूप से अस्वस्थ होते हुए भी श्रद्धापूर्वक उपाय करने का प्रयत्न करना : ‘जब डॉक्टर ने ‘श्रीमती चारु को हुआ कर्करोग तीसरे चरण में होने की जानकारी दी’, तब उन्हें आध्यात्मिक उपाय करने को बताया । परंतु उनकी शारीरिक स्थिती और ‘कीमोथेरेपी’ के कारण वे उपाय पूर्ण करने में असमर्थ थीं; तो भी जहां तक संभव होता था, वे  श्रद्धा और तडप से उपाय करने के प्रयत्न करती थीं’ । – श्री. शंभू गवारे और श्रीमती मीनु खैतान (जेठानी) (१७.१.२०२०)

४ आ. आध्यात्मिक उपाय श्रद्धापूर्वक करने पर प्रकृति में सुधार : श्रीमती चारु द्वारा आध्यात्मिक उपाय आरंभ करने पर डॉक्टर ने जांच करके बताया अभी इनकी स्वास्थ्य में सकारात्मक सुधार दिख रहा है । ‘श्रीमती चारु की परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी और आध्यात्मिक उपाय के प्रति दृढ श्रद्धा के कारण ही उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ ।’

५. सद्गुरु के प्रति अपार श्रद्धा !

५ अ. ‘सद्गुरु के चैतन्य का लाभ मिले’, उनकी ऐसी तीव्र लगन : श्रीमती चारु की  शारीरिक स्थिति अधिकतर अच्छी नहीं रहती थी । कूछ दिन पूर्व वे उपचार हेतु कोलकाता गई थीं, उस समय ‘सत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ एवं चित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ दोनों ही कोलकाता आयी थीं । यह जानकारी मिलते ही वे तुरंत उन दोनों से मिलने गईं ।’

५ आ. सद्गुरुद्वयी के चैतन्य से शारीरिक और मानसिक स्थिति में सुधार : दोनों सद्गरुओं के  चैतन्यमय सत्संग का लाभ मिलने पर चारुदीदी की शारीरिक और मानसिक स्थिति में बहुत सुधार हुआ था । इससे पहले चारुदीदी ५-६ घंटे का प्रवास कर धनबाद से कोलकाता जाने से पूरी तरह थक जाती थीं । सद्गरुओं के सत्संग मिलने के उपरांत वे विदेश जाकर आईं और उन्हें किसी प्रकार का कष्ट नहीं हुआ । यह ‘केवल दोनों सद्गरुओं के चैतन्य मिलने से हुआ, ऐसा उनका भाव था ।’

– श्रीमती मीनु खैतान