विज्ञान एवं अध्यात्म के अनुसार सगुण-निर्गुण !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की कृपा से मुझे अंतर से विज्ञान एवं अध्यात्म, साथ ही उनके संदर्भ में सगुण एवं निर्गुण के विषय में कुछ सूत्र सूझे । वे इन दोनों संकल्पनाओं को सुस्पष्ट करते हैं, इसकी मुझे अनुभूति हुई ।

वर्तमान शिक्षा एवं आध्यात्मिक शिक्षा में अंतर !

‘शिक्षक द्वारा मानचित्र में दिखाए अमेरिका को सत्य मानकर अध्ययन करनेवाले; परंतु संतों द्वारा बताए गए देवता के चित्र पर श्रद्धा रखकर अध्यात्म का अध्ययन न करनेवाले बुद्धिप्रमाणवादी नहीं, अपितु अध्यात्म विरोधी हैं, ऐसा कह सकते हैं । इससे संबंधित एक विवरणात्मक लेख प्रस्तुत है ।

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के अनमोल वचन तथा मार्गदर्शन

सुख पाने की अपेक्षा के कारण अन्यों से इच्छा अथवा अपेक्षा करना, यदि हमारे जीवन में दुख तथा अज्ञान निर्माण करता है, तो वह ‘आसक्ति’ है ।

आध्यात्मिक स्तर पर भगवद्गीता का लाभ न लेनेवाला हिन्दू समाज !

‘श्रीमद्भगवद्गीता’ ग्रंथ वेदों के साथ ही सर्व धर्मग्रंथों का सार है । भगवद्गीता का प्रसार सभी स्तर पर होता है एवं अनेक हिन्दुओं के घर में यह ग्रंथ है; परंतु ऐसा होते हुए भी कलियुग में हिन्दू एवं हिन्दू धर्म की स्थिति अत्यंत विकट हो गई है ।

कलियुग के इस घोर आपातकाल में ग्रंथनिर्मिति कर धर्मसंस्थापना का अवतारी कार्य करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में जो ज्ञान विशद किया है, उसका प्रत्यक्ष आचरण कैसे किया जाए ? ईश्वरप्राप्ति के साथ ही धर्मसंस्थापना के कार्य में सहभागी होकर जीवन का उद्धार कैसे करें ?’ परात्पर गुरुदेवजी लिखित ग्रंथ एवं उनके समष्टि कार्य से यह साध्य हो रहा है । इससे उनके अवतारी कार्य की प्रतीति होती है ।

देहली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान में गुरुपूर्णिमा महोत्सव !

हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा देहली के कालका जी के श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर (सनातन धर्म मंदिर), नोएडा (उत्तर प्रदेश) के सेक्टर ५६ के श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, फरीदाबाद (हरियाणा) की श्री सनातन धर्म मंदिर सभा एवं भीलवाडा (राजस्थान) की भारत विकास परिषद भवन में भावपूर्ण वातावरण में गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाया गया ।

लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में हिन्दू राष्ट्र का आश्वासन देनेवालों का ही हिन्दू समर्थन करेंगे ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दुओं का राजनीतिक दृष्टि से जागरूक न होना ही हिन्दुओं की पराजय का कारण है । जागरूक, क्रियाशील एवं संगठित नागरिक ही लोकतंत्र की शक्ति है । अतः स्वदेश, स्वतंत्रता एवं समाजव्यवस्था के प्रति हिन्दुओं का अज्ञान, स्वार्थ एवं असंगठितता इन पर कार्य करने की आवश्यकता है ।

गुरुमहिमा !

किसी को सुंदर पत्नी, धन, पुत्र-पौत्र, घर एवं स्वजन आदि सर्व प्रारब्धानुसार सरलता से प्राप्त हुआ हो; परंतु यदि उनका मन गुरुदेवजी के श्री चरणों में रममाण (आसक्त) न हो, तो उसे ये सर्व प्रारब्ध-सुख मिलकर क्या लाभ होगा ?

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ का अर्थ क्या है ?

भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के पश्चात, उसके द्वारा विश्वकल्याण का कार्य होगा, यह आज तक का इतिहास है । इसलिए ‘सनातन भारत’ कहें, अथवा ‘हिन्दू राष्ट्र’ कहें अथवा ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र’ कहें, इन सभी का अर्थ एक ही है ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के आयोजन में सहयोग देनेवाले मान्यवरों को कृतज्ञतापूर्वक सम्मानित किया गया !

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन संपन्न कराने में सहयोग करनेवाले सभी ज्ञात-अज्ञात मान्यवरों के प्रति इस अवसर पर आभार व्यक्त किया गया ।