
१. भारत पर अभी भी आतंकवाद का संकट मंडरा रहा है, इसलिए निरंतर सतर्क रहना आवश्यक !
‘आतंकवाद, माओवाद, ईशान्य भारत में उग्रवाद एवं बांग्लादेशी घुसपैठ, ये सर्व आतंकवाद के प्रकार हैं । भारत को इन सभी प्रकार के आतंकवाद का सामना करना पड रहा है । कुछ लोगों को लगता है कि भारत यदि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलेगा, तो दो देशों में मित्रता के संबंध स्थापित होंगे एवं पाकिस्तान का आतंकवाद थम जाएगा । पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलकर यदि आतंकवाद रुकनेवाला होता, तो हमने भारत के सहस्रों खेल के मैदानों में ‘क्रिकेट मैच’ रखे होते । क्रिकेट खेलने से आतंकवाद रुकनेवाला नहीं; क्योंकि पाकिस्तान को कश्मीर चाहिए तथा वह हम कभी भी नहीं दे सकते । भारत में आतंकवाद फैलने के लिए ‘आइएसआइ’ नामक पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था उत्तरदायी है । भारत की सरकारें आएंगी एवं चली जाएंगी; परंतु आइएसआइ भारत को सदैव रक्तरंजित करती रहेगी ।
पाकिस्तानी आतंकवाद के कारण अब तक भारत में सहस्रों लोगों की मृत्यु हो चुकी है । वर्ष २०१४ से हमने आक्रामक नीति अपनाई; तदुपरांत आतंकवाद भारी मात्रा में घट गया है । यद्यपि यह सत्य है, तब भी आतंकवाद के संकट को अस्वीकार नहीं किया जा सकता । पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद पुनर्जीवित करने का प्रयत्न कर रहा है । जब अफगानिस्तान में तालिबानियों का राज्य आएगा, तब पाकिस्तान सहस्रों आतंकवादी भारत में घुसेडने का प्रयत्न करेगा । इसलिए अपनी आंखें एवं कान खुले रखकर सतर्क रहना होगा ।
२. कालानुसार आतंकवादियों को ‘ऑनलाइन’ प्रशिक्षण दिया जाना
अ. वर्ष १९७१ का युद्ध हारने के पश्चात पाकिस्तान के ध्यान में आया कि कश्मीर लेने के लिए केवल पारंपरिक युद्ध उपयोगी नहीं । तब से उसने अपारंपरिक युद्ध, अर्थात भारत के विविध भागों में आतंकवाद फैलाना आरंभ कर दिया । वर्ष १९८४ में कश्मीर में प्रथम आतंकवादी कार्यवाहियां आरंभ हुईं । उस समय वहां ६ से ७ सहस्र आतंकवादी थे । उनमें ४० प्रतिशत विदेशी एवं ६० प्रतिशत स्थानीय आतंकवादियों का समावेश था । भारतीय सेना को वहां तैनात करने के पश्चात आतंकवादियों की संख्या धीरे-धीरे घटती गई । आतंकवादियों की नई भरती कायम थी; परंतु प्रत्येक बार भारतीय सेना ने उसे विफल किया । वर्तमान में कश्मीर में २०० से २५० आतंकवादी हैं ।
आ. पहले आतंकवादियों को मदरसों एवं मस्जिदों से प्रशिक्षण मिलता था । अब प्रशिक्षण ‘ऑनलाइन’ दिए जाते हैं । कुछ दिन पूर्व ही इसिस के सभी आतंकवादियों को जालस्थल के माध्यम से प्रशिक्षण मिला है । भारत में आतंकवादियों के २०० से २२० छिपे ‘सेल’ अर्थात अड्डे हैं । महाराष्ट्र में वे भारी संख्या में हैं । इस विषय में गृहविभाग के जालस्थल पर जानकारी मिल सकती है ।
इ. उग्रवादी बनाने का प्रशिक्षण अत्यंत कठिन होता है । १०० युवकों को उग्रवादी बनाने का प्रयत्न करने पर, उनमें से ५ से ६ युवक ही उग्रवादी बनते हैं तथा उनमें भी १ – २ युवक ही आतंकवाद की ओर मुडते हैं । महाराष्ट्र में अनेक युवक लापता हैं । कहा जाता है कि उनमें से अनेक लोग आतंकवादी बनने के लिए गए हुए हैं । आतंकवादियों का प्रशिक्षण पूर्ण होने के उपरांत उन्हें ८ से १० लोगों के गुटों में भारत में घुसेडा जाता है । नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना उन्हें रोकने का प्रयत्न करती है । उस संघर्ष में ९५ प्रतिशत आतंकवादी मारे जाते हैं; परंतु ५ प्रतिशत आतंकवादी भारत की सीमा में घुस ही आते हैं । अंत में वे ही देश में विस्फोट इत्यादि करते हैं ।
३. पाकिस्तान द्वारा खालिस्तानवाद के माध्यम से भारत में आतंकवाद फैलाना
मैंने कश्मीर में अपने अनेक सहकारी गंवाए हैं । वे वहां लडने के लिए गए थे; परंतु लौटकर कभी नहीं आए । पाकिस्तान ने वर्ष १९८० के दशक में पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद को प्रोत्साहन दिया । उस आतंकवाद को विफल करने के लिए बडा संघर्ष हुआ । उसमें पंजाब पुलिस एवं सेना के अनेक सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए । अब पुन: खालिस्तानी आतंकवाद पुनर्जीवित करने के प्रयत्न चल रहे हैं । किसान आंदोलन में खालिस्तानियों के घुसने का समाचार सुनने को मिला । इन खालिस्तानवादियों को अमेरिका, कैनडा एवं इंग्लैंड से सहायता मिलती है ।
४. आतंकवाद के प्रकारों के कुछ उदाहरण
कुछ मास पूर्व कोरोना टीके का उत्पादन करनेवाले ‘सीरम इन्स्टिट्यूट’ में आग लग गई । उसमें सहस्रों करोड रुपए की हानि हुई । वहां आग लगने की कोई भी संभावना नहीं थी; वहां आग लगाने में चीन का हाथ था । तदुपरांत कुछ दिनों में उत्तराखंड में हिम की चट्टान गिरने से अनेक लोगों की मृत्यु हुई । क्या कभी फरवरी मास में हिम की चट्टान गिरती है ? कुछ कारण न होते हुए भी वह गिरी । उसके गिरने के पीछे अवश्य पूर्व नियोजित आक्रमण था । २ वर्ष पूर्व चीन से आनेवाली ब्रह्मपुत्र नदी का प्रवाह अचानक रुक गया । वर्ष २०२० में महाराष्ट्र में ३ – ४ सहस्र करोड रुपए की अफीम-गांजा एवं चरस पकडा गया । ये सभी आतंकवाद के ही प्रकार हैं ।
५. देश में आंदोलन के माध्यम से हिंसा फैलाकर आतंकवाद निर्माण करना !
कृषि कानून का विरोध करने के नाम पर देहली की ओर आनेवाला महामार्ग अनेक मास तक रोककर रखा गया । शहर को लगनेवाली प्रत्येक जीवनावश्यक वस्तु शहर के बाहर से आती है । उसके लिए सहस्रों ट्रक शहर में आते-जाते रहते हैं । उन्हें प्रवेश न मिलने के कारण वस्तुओं का अभाव हुआ एवं महंगाई बढी । इस आंदोलन में वामपंथी आतंकवादियों का सहभाग था । इसके साथ ही खालिस्तानियों के भी सम्मिलित होने के समाचार मिले । इन लोगों ने देहली के २-३ मार्ग बंद कर दिए थे । इससे देश को प्रतिदिन ४ से ५ सहस्र करोड रुपए की हानि हुई । महाराष्ट्र में २ वर्ष पूर्व हुए आंदोलन में राज्य की ४० प्रतिशत बसें जला दी गईं । इसलिए ऐसा नहीं है कि केवल बम एवं शस्त्र लेकर ही आतंकवाद होता है; अपितु देश में अनेक प्रकार की हिंसा फैलाकर भी आतंकवाद निर्माण किया जाता है । इसे हम ‘हत्याकांड आतंकवाद’ भी कह सकते हैं ।
६. महाराष्ट्र एवं खालिस्तान का संबंध !
अ. जब भारतीय सेना महाराष्ट्र के सुपुत्र जनरल अरुण कुमार वैद्य के नेतृत्व में थी, तब स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानी आतंकवादी घुसे थे । उस समय भारतीय सेना ने ४०० से ५०० आतंकवादियों को मारा एवं स्वर्ण मंदिर खोल दिया; परंतु उसके लिए ७० से भी अधिक सैनिकों ने प्राणों का बलिदान दिया । सेना से निवृत्त होने के पश्चात जनरल वैद्य पुणे में स्थायी हो गए । एक दिन खालिस्तानी आतंकवादियों ने उन पर आक्रमण किया, जिसमें जनरल वैद्य की मृत्यु हो गई ।
आ. आजकल कोरोना महामारी के कारण बडे कार्यक्रमों पर प्रतिबंध है । नांदेड के गुरुद्वारा में एक समारोह होनेवाला था । उसके लिए पुलिस ने अनुमति अस्वीकार कर दी । तब वहां कुछ युवकों ने पुलिस पर आक्रमण किया । इसमें २५ पुलिसकर्मी घायल हो गए । इस प्रकार खालिस्तानी आतंकवाद पुनर्जीवित किया जा सकता है । इसके पीछे भी पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था ‘आइएसआइ’ ही है ।
७. कोलकाता से ईशान्य क्षेत्र में जाने के लिए बांग्लादेश से जाना पडता है, इसलिए उनके साथ अच्छे संबंध रखना आवश्यक
कुछ वर्ष पूर्व ईशान्य के ‘बोडो’ आतंकवादियों को पुणे में पकडा गया था । जिस समय आतंकवादियों को विश्राम की आवश्यकता होती है एवं सुरक्षादल से दूर रहना होता है, तब रहने के लिए वे बडे शहरों में चले जाते हैं; क्योंकि वहां उन्हें पहचानना सरल नहीं होता । ईशान्य भाग के, इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश, असम एवं मेघालय में आतंकवाद नहीं है । असम में ‘उल्फा’ आतंकवादी संगठन वहां पुनर्जीवित होने का प्रयत्न कर रहा है । इसके साथ ही नागालैंड एवं मणिपुर में अब आतंकवाद को पुनर्जीवित करने का प्रयत्न हो रहा है । पहले कोलकाता से ईशान्य भारत में जाने के लिए बांग्लादेश (पूर्व पाकिस्तान) के मार्ग से जाना पडता था । वर्ष १९७१ में बांग्लादेश स्वतंत्र राष्ट्र हो गया । तदुपरांत मिजोरम अथवा त्रिपुरा जाने में होनेवाला अंतर ७ गुना हो गया । इसलिए हम बांग्लादेश से अच्छे संबंध रखने का प्रयत्न करते हैं ।
८. बांग्लादेशी घुसपैठियों की दृष्टि से महाराष्ट्र को वरीयता प्राप्त !
बांग्लादेश की सीमा से सटे भारतीय प्रदेश में ९० प्रतिशत जनसंख्या बांग्लादेशी है । अब उनकी संख्या इतनी बढ गई है कि उन्होंने भारत के अन्य भागों में भी हाथ-पैर फैलाने आरंभ कर दिए हैं । उनकी दृष्टि में महाराष्ट्र को पहला स्थान है । मुंबई, संभाजीनगर एवं भिवंडी में वे भारी संख्या में रहते हैं । उनके कारण भारत में अमली पदार्थ एवं बनावटी नोटों की तस्करी भारी मात्रा में होती है । वे विविध स्थानों पर अल्प दरों में काम करते हैं । उन्होंने अपने हाथों में निम्न स्तर के कार्य लिए हैं । इसलिए भारतीय लोगों को काम नहीं मिल रहा । उन्होंने कोंकण में भी मछली-व्यापारियों की नौकाओं पर जाना आरंभ कर दिया है । ऐसे में बांग्लादेशी घुसपैठिए देश की बडी समस्या हैं एवं उनका शीघ्र समाप्त होना आवश्यक है ।
९. २६/११ के आक्रमण के पश्चात महाराष्ट्र में ‘एनएसजी’ के हब निर्माण करना
२६/११ के आतंकवादी आक्रमण के समय १० आतंकवादी मुंबई में आए । भारत के ‘एनएसजी’ कमांडो ने उनमें से ८ लोगों को मार डाला । अब महाराष्ट्र पुलिस ने भी आतंकवाद के विरुद्ध लडने के लिए ‘फोर्स १’ नामक दल निर्माण किया है । इसके साथ ही महाराष्ट्र में ‘एनएसजी’ के हब निर्माण किए गए हैं । सेना से निवृत्त होने पर कुछ भूतपूर्व सैनिक पुलिस सेवा में भर्ती होते हैं । उनमें से एक तुकाराम ओंबाळे ने २६/११ के आक्रमण के एक आतंकवादी को मार गिराया था ।
१०. आतंकवादियों को तुरंत दंड मिलने के लिए न्यायव्यवस्था शीघ्र बनाना आवश्यक !
भारत में आतंकवादियों के विरुद्ध अनेक वर्ष अभियोग चलते हैं, उदा. १९९३ के बमविस्फोट का अभियोग अब भी चल रहा है । जब तक अपनी न्यायव्यवस्था गति नहीं पकडती, तब तक आतंकवादी कार्यवाहियां नहीं रुकेंगी ।’ – (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे, महाराष्ट्र.
भारत में हो रहे आतंकवाद के विविध प्रकार !
१. ‘एसएमएस’ बम : दो वर्ष पूर्व मुंबई-पुणे में रहनेवाले ईशान्य भाग के लोगों को एसएमएस (संदेश) भेजा गया । उसमें उन पर आक्रमण करने की धमकियां दी जा रही थीं । यह ‘एसएमएस बम’ था । जिन्होंने ये धमकियां दी थीं, उन्हें पकडा नहीं गया । आजाद मैदान में भारी मात्रा में हिंसा हुई थी । उनमें से कुछ लोगों को ही पकडा गया, इसे अपनी असफलता ही कहेंगे ।
२. दुष्प्रचार युद्ध : जनवरी २०२१ में देश में टीका देने का कार्यक्रम आरंभ हुआ, तब ऐसा दुष्प्रचार किया गया कि ‘यह टीका सुरक्षित नहीं, इससे मनुष्य की मृत्यु हो सकती है ।’ इससे ३० से ४० प्रतिशत लोगों ने टीका लिया ही नहीं, यह था दुष्प्रचार युद्ध !
३. साइबर आतंकवाद : इंटरनेट के माध्यम से आक्रमण किया जाता है, उसे ‘साइबर आतंकवाद’ कहते हैं । कुछ महीने पूर्व महाराष्ट्र की बिजली प्रणाली पर साइबर आक्रमण किया गया था । इससे मुंबई की बिजली १२ घंटे बंद हो गई । उससे देश को अरबों रुपए की क्षति पहुंची । इसके पीछे चीन का हाथ था ।
४. पूर्वनियोजित आक्रमण आतंकवाद : गेट वे ऑफ इंडिया के निकट एक बुचर आयरलैंड नामक द्वीप है । वहां विदेश से आया खनिज तेल संग्रहित किया जाता है । वहां आग लगने से ३०० करोड रुपए का तेल नष्ट हो गया । यह भी पूर्वनियोजित आक्रमण था । नागपुर के निकट कामठी में भारतीय सेना का गोला-बारूद का सबसे बडा कारखाना है । वहां आग लग गई थी । तब ७०० से ८०० करोड रुपए के गोला-बारूद नष्ट हो गए थे । इस घटना को देखते हुए भारत को पाकिस्तानी दलालों (एजेंट) से सतर्क रहना चाहिए ।
५. जैविक आतंकवाद : गत डेढ वर्ष से चीन ने जैविक विश्वयुद्ध आरंभ कर दिया है । इसमें भारत की भारी मात्रा में हानि हुई । इसमें डेढ लाख से भी अधिक लोगों की मृत्यु हो गई । बारंबार यातायात बंदी लगाई गई, जिससे इतनी आर्थिक हानि हुई है कि इसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता । इतना सब होने पर भी अपने लोग आपस में झगडते रहते हैं; परंतु चीन को फटकारने के लिए कोई भी तैयार नहीं । ऐसा पहली बार हुआ है कि हमारी अर्थव्यवस्था में लाभ के स्थान पर घाटा हुआ ।