सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘प्रत्येक पीढी अगली पीढी से समाज, राष्ट्र एवं धर्म सम्बन्धी अपेक्षा रखती है । इसके स्थान पर प्रत्येक पीढी को यह विचार कर कार्य करना चाहिए कि ‘हम क्या कर सकते हैं ।’ इससे अगली पीढी को इस विषय में कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी । जिससे वह पूरा समय साधना को दे सकेगी !’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक