हिन्दू धर्म संसार का एकमात्र ऐसा धर्म है, जिसमें क्रूरता का इतिहास नहीं है !

‘धर्म एक ही है, वह है हिन्दू धर्म । हिन्दू धर्म के अतिरिक्त अन्य धर्मों का (पंथों का) इतिहास देखें, तो उनमें विविध काल में की गई लाखों हत्याएं, क्रूरता, बलात्कारों, जीते हुए प्रदेश के स्त्री-पुरुषों को गुलाम बनाकर बेचने की सहस्रों प्रविष्टियां हैं । हिन्दू धर्म अनादि काल से अस्तित्व में है परंतु हिन्दू धर्म के इतिहास में ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है ।’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘ब्राह्मण और गैर-ब्राह्मण विवाद निर्माण करनेवालों ने हिन्दुओं में भेदभाव उत्पन्न किया । इस कारण हिन्दुओं और भारत की स्थिति दयनीय हो गई है । अतः भेदभाव करनेवाले राष्ट्रद्रोही एवं धर्मद्रोही हैं !

दिशाहीन बुद्धिवादी एवं आधुनिकतावादी !

‘अंधे की बात मानकर उसके पीछे चलनेवाले जिस प्रकार गड्ढे में गिरते हैं, उसी प्रकार बुद्धिवादियों एवं आधुनिकतावादियों का है । वे दिशाहीनता के कारण स्वयं गड्ढे में गिरते हैं और उनके साथ-साथ उनके पीछे चलनेवाले भी गड्ढे में गिरते हैं ।’

संतान को साधना न सिखाने का परिणाम !

‘वृद्धावस्था में संतान ध्यान नहीं देती, ऐसा कहनेवाले वृद्धजनों, आपने संतान पर साधना के संस्कार नहीं किए, इसका यह फल है । इसलिए संतान के साथ आप भी उत्तरदायी हैं !’

व्यवहार एवं अध्यात्म में भेद !

‘व्यवहार में पैसे मिलने पर व्यक्ति अपने पास रखता है; परंतु अध्यात्म में ईश्वर का प्रेम मिलने पर संत वह प्रेम सभी में बांटते हैं !’

कृतघ्न युवक-युवतियां !

‘जिन माता पिता ने जन्म दिया और छोटे से बडा किया, उनके बुढापे में अनेक कृतघ्न युवक- युवतियां उनका ध्यान नहीं रखते । माता-पिता का ध्यान न रखनेवाले क्या कभी भगवान को प्रिय होंगे ?

निरर्थक बुद्धिवादी !

‘भारत के हिन्दुओं को ही नहीं, पूरे संसार की मानवजाति को हिन्दू धर्म का आधार प्रतीत होता है । इसलिए पूरे संसार के जिज्ञासु अध्यात्म सीखने के लिए भारत आते हैं । बुद्धिवादी, धर्म विरोधी एवं साम्यवादी, आदि का तत्वज्ञान सीखने कोई भारत नहीं आता; परंतु यह भी वे नहीं समझते !’

सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी यह ध्यान रखें !

‘काम न करना, भ्रष्टाचार करना इत्यादि के अभ्यस्त हो चुके अधिकांश पुलिसकर्मी, सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी इन्हें कोई भी निजी प्रतिष्ठान एक भी दिन नौकरी पर नहीं रखेगा !’

आदि शंकराचार्यजी के काल और वर्तमान काल के धर्म विरोधियों में भेद !

‘आदि शंकराचार्यजी ने भारत में सर्वत्र घूमकर हिन्दू धर्म के विरोधियों से वाद-विवाद में जीतकर हिन्दू धर्म की पुनर्स्थापना की । उस काल के विरोधी वाद-विवाद करते थे । इसके विपरीत वर्तमान काल के धर्म विरोधी वाद-विवाद न कर केवल शारीरिक और बौद्धिक गुंडागिरी करते हैं !’

छोटे बच्चों जैसे बुद्धिवादी !

‘बुद्धिवादियों को कभी विश्वबुद्धि से ज्ञान मिलता है क्या ? ‘विश्वबुद्धि’ जैसा भी कुछ है और उस विश्वबुद्धि से ज्ञान मिलता है, यह भी वे जानते हैं क्या ? यह ज्ञात न होने के कारण ही वे छोटे बच्चों के समान बडबडाते हैं !’