हर प्रातः हो उनके आशीर्वाद से साकार ।

२९.१०.२०२४ ला देहली येथील साधिका अधिवक्त्या (सौ.) अमिता सचदेवा यांना स्वप्नात श्रीसत्‌शक्ति (सौ.) बिंदा नीलेश सिंगबाळ यांचे दर्शन झाले. त्यासाठी त्यांनी कृतज्ञतापर लिहिलेली कविता पुढे दिली आहे. 

श्रीसत्‌शक्ति (सौ.) बिंदा नीलेश सिंगबाळ

सपने में आईं सद्गुरु मां (टीप) ।
उनकी मूरत जैसे हो पूर्णिमा का चंद्र ।।
रात्रि की शांति में वो प्रकाश फैलाएं ।
मन के अंधेरों को अपनी दृष्टि से मिटाएं ।। १ ।।

अधिवक्त्या (श्रीमती) अमिता सचदेवा, देहली

दिन-रात गुरु की स्मृति में डूबा रहे ।
उनके चरणों में मेरा मन सदा बसा रहे ।।
जो मार्ग उन्होंने सिखाया स्नेह से ।
उसी पर चलूं मैं संकल्प और प्रेम से ।। २ ।।

कांटों में भी फूलों का आभास हो ।
उनके नाम से हर पीडा का विनाश हो ।।
भक्तिसत्संग की गूंज से महके ये जीवन ।
उनकी कृपा से भरे मेरा हर क्षण ।। ३ ।।

गुरु के वचन अमृत से मधुर लगे ।
हर शब्द उनका सत्य का दीपक जले ।।
उनके मार्ग पर चलती जाऊं मैं ।
भक्ति में डूबकर सब कुछ सह जाऊं मैं ।। ४ ।।

सपने में आएं सद्गुरु मां बार-बार ।
हर प्रातः हो उनके आशीर्वाद से साकार ।।
उनके चरणों में बसा रहे ये हृदय सदा ।
न टूटे कभी ये बंधन भक्ति का बना रहे सदा ।। ५ ।।

टीप – श्रीसत्‌शक्ति (सौ.) बिंदा नीलेश सिंगबाळ

– अधिवक्त्या (सौ.) अमिता सचदेवा, देहली. (३१.१०.२०२४)

येथे प्रसिद्ध करण्यात आलेल्या अनुभूती या ‘भाव तेथे देव’ या उक्तीनुसार साधकांच्या वैयक्तिक अनुभूती आहेत. त्या सरसकट सर्वांनाच येतील असे नाही. – संपादक