प्रतिज्ञा ली है, हिन्दू राष्ट्र के सपने में पूर्णतः सहभागी होने के लिए ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवले
अधिवक्त्या (सौ.) अमिता सचदेवा

जितना सोचा था मिलने से पहले, उससे अधिक सरल हैं आप (टीप १)।
विचारों के होते हुए, नामजप भी हो रहा था अपनेआप ।। १ ।।

माना कि आपके सामने मन में कोई प्रश्न नहीं आया ।
पर अनुभव हो रही थी आपके जाने के बाद भी आपकी छाया ।। २ ।।

आपसे मिलने के उपरांत ही जाना कि एक दिन पहले जो मन में आई थी इच्छा ।
वह न तो स्व इच्छा थी, न पर इच्छा; परंतु थी केवल ईश्वर इच्छा ।। ३ ।।

मेरे वो आंसू भी खो गए, जो आपसे मिलने से पहले बह रहे थे ।
क्योंकि जैसे करता है एक मित्र अपने मित्र से, वैसे हम बातें कर रहे थे ।। ४ ।।

आपकी हर बात का अर्थ समझना और समझाना कठिन तो है ।
परंतु जब आपने कुछ कह दिया, उस काम को करना संभव तो है ।। ५ ।।

आपने जो कही, वो ध्यान रहेगी मुझे हर बात ।
चाहे उसके लिए करना पडे एक, मुझे दिन और रात ।। ६ ।।

यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे भी चुना आपने हिन्दू राष्ट्र के सपने के लिए ।
प्रतिज्ञा ली है, इस सपने में पूर्णतः सहभागी होने के लिए ।। ७ ।।

टीप १ – परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी

– अधिवक्त्या (सौ.) अमिता सचदेवा, देहली.

या लेखात प्रसिद्ध करण्यात आलेल्या अनुभूती या भाव तेथे देव या उक्तीनुसार साधकांच्या वैयक्तिक अनुभूती आहेत. त्या सरसकट सर्वांनाच येतील असे नाही. – संपादक