अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का अनुचित उपयोग कर ऊपर से अधिकार का दावा कैसे कर सकते हो ?
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उदयनिधि को कठोर दंड देना चाहिए, ऐसी सनातन धर्मियों की मांग है !
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उदयनिधि को कठोर दंड देना चाहिए, ऐसी सनातन धर्मियों की मांग है !
सर्वोच्च न्यायालय के ७ न्यायमूर्तियों के घटना पीठ ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय दिया है । वर्ष १९९८ में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव द्वारा सरकार की ओर से सांसदों और विधायकों को सभागृह में भाषण देने अथवा मतों के लिए घूस लेने के मामले में उनके विरुद्ध अभियोग चलाने के लिए छूट दी गई थी ।
इसके लिए सरन्यायाधिशों को ही आगे आना चाहिए और उनकी अधिकार कक्षा में परिवर्तन करवा लेने चाहिए, ऐसा ही जनता को लगता है !
‘कुछ ही दिन पूर्व अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के स्थान पर श्रीराममूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा का समारोह संपन्न हुआ । उस विषय में संपूर्ण देश में बहुत बडे स्तर पर आनंदोत्सव मनाया गया । श्रीराम मंदिर हेतु किए गए इस संघर्ष में अनेक लोगों ने अपना योगदान दिया है
सरकारी भूमि पर मस्जिद का निर्माण होने तक सरकार सदैव सोई रहती है; एवं पश्चात कोई पीछे पडे, तब निरुत्साह से कार्यवाही करने के प्रयास करती है । ऐसे प्रशासन के संबंधित अधिकारियों पर भी अब कार्रवाई करना आवश्यक है !
राजनीतिक दलों को अमर्याद धन प्राप्त हो, इसलिए कानून में परिवर्तन करना अनुचित ! – सर्वोच्च न्यायालय
कुछ दिन पूर्व ही ज्ञानवापी के संदर्भ में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (‘ए.एस.आई.’) का प्रतिवेदन (रिपोर्ट) आया है । उसमें स्पष्टता से कहा है कि ‘ज्ञानवापी के स्थान पर भव्य मंदिर था एवं उसे १७ वीं सदी में गिराया गया ।’
सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत
केलंतन सरकार के अधिकारी मोहम्मद फाजली हसन ने निर्णय पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी सरकार, शाही शासक सुल्तान मोहम्मद वी का सुझाव लेगी ।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मुसलमान पक्ष को निर्देश !