जागृत हिन्दू अन्य हिन्दुओं को भी हिन्दू राष्ट्र के विषय में जागृत करें ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

साधना एवं धर्मपालन करनेवाले, साथ ही राष्ट्र एवं धर्म के लिए क्रियाशील हिन्दुओं की आज आवश्यकता है । धर्म एवं अधर्म की लडाई में हम धर्म को जानकर आगे बढें, तो हमारी विजय निश्चित है ।

हिन्दू राष्ट्र स्थापना का कार्य स्वयं का है; इसलिए उसमें आगे बढकर कार्य करना चाहिए !

सनातन धर्मग्रंथों में राजधर्म बताया गया है । वहां धर्म की सीमा के बाहर राजनीति नहीं है । धर्म की सीमा से बाहर यदि राजनीति हो, तो उसका नाम ‘उन्माद’ है, जब तक भारत में धर्माधारित राजपद्धति अपनाई नहीं जाएगी, तबतक गायें, गंगा, सती, वेद, सत्यवादी, दानशूर आदि का संपूर्ण संरक्षण नहीं हो सकता ।

हिन्दू जनजागृति समिति और हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के बारे में हिन्दुत्वनिष्ठों के गौरवोद्गार और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति व्यक्त किया भाव

अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का व्यासपीठ सभी हिन्दुत्वनिष्ठों के लिए है । इस कारण हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के माध्यम से हिन्दुओं में नवशक्ति निर्माण हुई है । विविध राज्यों में और जिलों में इस प्रकार के अधिवेशन हो रहे हैं । अखंड हिन्दू राष्ट्र के लिए ये सम्मलेन हो रहे हैं ।

‘कश्मीर से कन्याकुमारी’, ‘कच्छ से कामरूप’ ऐसा ‘आसेतु हिमालय’ एवं सिंधु से सेतुबंध’ तक हिन्दू राष्ट्र स्थापित करना है !

अगले २-३ वर्ष हिन्दू राष्ट्र की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं । इसके लिए हमें निरंतर हिन्दू राष्ट्र की मांग करते रहना होगा । इस दृष्टि से ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ महत्त्वपूर्ण है । यह कार्य करते समय कालमहिमा के अनुसार वर्ष २०२५ में हिन्दू राष्ट्र आने ही वाला है, इसके प्रति आश्वस्त रहिए !

नई पीढी को इन्क्विजिशन (धर्म छल) द्वारा किए क्रूरतापूर्ण अत्याचारों की जानकारी देने हेतु जल्दी ही ‘गोवा फाइल्स २’ गोमंतकियों के समक्ष रखेंगे ! – प्रा. सुभाष वेलिंगकर, गोवा

भगवान परशुराम ही गोवा के रक्षक हैं; इसलिए कथित संत फ्रान्सिस जेवियर को ‘गोंयचो सायब’ (गोवा का साहब) कहना अनुचित है । गोवा में क्रूरतापूर्ण तंत्र इन्क्विजिशन लाने के लिए फ्रान्सिस जेवियर ही पूर्ण रूप से उत्तरदायी था ।

धर्मकार्य में पैर जमाकर खडे रहना आवश्यक – अधिवक्ता भारत शर्मा, संरक्षक, धरोहर बचाओ समिति, राजस्थान

‘‘जिस प्रकार अंगद ने रावण की राजसभा में स्वयं भूमि पर पैर जमाया, उसी प्रकार हिन्दुत्वनिष्ठों को धर्मकार्य करने के लिए पैर जमाकर खडे रहना चाहिए, तभी जाकर हम हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं’’, ऐसा प्रतिपादन अधिवक्ता भारत शर्मा ने किया ।

आदर्श चरित्र का निर्माण करनेवाली शिक्षा आवश्यक ! – पू. डॉ. शिबनारायण सेन, उपसचिव, शास्त्र धर्म प्रचार सभा, बंगाल

आज भी भारत में किसी भी विद्यालय में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती । भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किए बिना हिन्दुओं को धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती । इसलिए ‘सभी संस्थाओं को एकत्रित होकर आदर्श चरित्र का निर्माण हो सके’, इस प्रकार की धार्मिक शिक्षा देनी आवश्यक है ।

स्वयं के द्वारा हिन्दू धर्म का आचरण करने से ही हिन्दुओं को जागृति लाना संभव ! – दयाल हरजानी, व्यवसायी, हाँगकाँग

मंदिरों में दानपेटी होती है; परंतु ज्ञानपेटी नहीं होती । मंदिरों में धर्म का ज्ञान मिलना आवश्यक है । दुर्भाग्यवश मंदिरों की ओर से ज्ञान नहीं दिया जाता । इसलिए हमें मंदिरों में भी परिवर्तन लाना पडेगा । धर्म का ज्ञान लेकर मन में मंदिर तैयार नहीं हुआ, तो वह किसी उपयोग का नहीं है ।

पाठ्यपुस्तक में भारत के तेजस्वी इतिहास का समावेश करने का ठराव हिन्दू राष्ट्र संसद में एकमत से संमत !

मुगलों ने हिन्दुओं पर जो अत्याचार किए, उसका इतिहास विद्यालयीन पाठ्यक्रम में सिखाया जाना चाहिए । छत्रपति शिवाजी महाराज ने किस प्रकार से अफजल खान का वध किया और शाहिस्ते खान की उंगलियां काट दीं, यह हिन्दुओं के पराक्रम का इतिहास युवा पीढी को सिखाया जाना चाहिए ।

धर्म के आधार पर मुसलमान एवं ईसाईयों को निधि का वितरण करना, यह कौनसी धर्मनिरपेक्षता ? – एम. नागेश्वर राव, भूतपूर्व प्रभारी महासंचालक, सीबीआई

‘‘धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों पर इतनी बडी मात्रा में निधि व्यय करना, इसमें कौनसी धर्मनिरपेक्षता है ? संविधान यदि धर्मनिरपेक्ष है, तो सभी के साथ समान व्यवहार होना चाहिए’’, ऐसा प्रतिपादन सीबीआई के भूतपूर्व प्रभारी महासंचालक श्री. एम. नागेश्वर राव ने किया ।