तनावमुक्ति हेतु अपने दुर्गुणों को दूर कर, गुणवृद्धि करें ! – श्रीमती वैदेही पेठकर, सनातन संस्था
आजकल सर्वत्र ही छात्रों में तनाव दिखाई देता है । तनाव निर्मूलन हेतु अपने व्यक्तित्व के दोषों को दूर करने के लिए, अपने गुण बढाने की आवश्यकता है ।
आजकल सर्वत्र ही छात्रों में तनाव दिखाई देता है । तनाव निर्मूलन हेतु अपने व्यक्तित्व के दोषों को दूर करने के लिए, अपने गुण बढाने की आवश्यकता है ।
‘व्यक्ती में सर्व गुण ईश्वर से आते हैं तथा व्यक्ती के माध्यम से सर्व उचित कृती भगवंत ही करता है । ईश्वर से प्राप्त अथवा उसके द्वारा की जानेवाली प्रत्येक कृती के लिए व्यक्ती अपनी स्वयं की स्तुती हो, ऐसी अपेक्षा क्यों करता है ?’
आषाढ कृष्ण चतुर्दशी (२७.७.२०२२) के दिन सनातन की ४५ वी संत पू. (कै.) श्रीमती सूरजकांता मेनराय की जयंती है । उस निमित्त ६४ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर की कु. मधुरा भोसले को ध्यानमें आएं उनके सूत्र यहां देखेंगे ।
‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वेच्छाचार, प्राणियों की विशेषता हो सकती है, मानव की नहीं । ‘धर्मबंधन में रहना, धर्मशास्त्र का अनुकरण करना’, ऐसा करनेवाला ही ‘मानव’ कहला सकता है ।’
गुरुकृपायोगानुसार साधना कर पू. नीलेश सिंगबाळजी ने सद्गुरु पद प्राप्त किया । इस समय परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी और सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी की पत्नी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने उनका सम्मान किया ।
साधकों को साधना में भले ही प्रगति करना संभव न होता हो और स्वभावदोषों और अहं पर विजय प्राप्त करना संभव न होता हो; तब भी उन्हें बताया जाता है, ‘आप भावजागृति के लिए प्रयास कीजिए । भाव जागृत हुआ, तो साधना में उत्पन्न अनेक बाधाएं दूर होंगी और आपकी प्रगति होगी ।
आपकी दृष्टि सुंदर होनी चाहिए । तब मार्ग पर स्थित पत्थरों, मिट्टी, पत्तों और फूलों में भी आपको भगवान दिखाई देंगे; क्योंकि प्रत्येक बात के निर्माता भगवान ही हैं । भगवान द्वारा निर्मित आनंद शाश्वत होता है; परंतु मानव-निर्मित प्रत्येक बात क्षणिक आनंद देनेवाली होती है । क्षणिक आनंद का नाम ‘सुख’ है ।
सनातन के १४ वें संत सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का जन्मदिन श्रावण शुक्ल प्रतिपदा (२९ जुलाई २०२२) एवं ४६ वें संत पू. मेनरायजी का जन्मदिन श्रावण शुक्ल पंचमी (नागपंचमी, २ अगस्त २०२२) को है । जन्मदिन निमित्त सनातन परिवार की ओर से कोटि-कोटि प्रणाम !
मूल वाराणसी के धर्माभिमानी एवं संस्कृत भाषा एवं धर्मशास्त्र के गहन अध्ययनकर्ता श्री. विद्यावाचस्पति त्रिपाठी (आयु ८० वर्ष) ने ९ जून २०२२ को ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त करने की घोषणा, देहली में उनके निवासस्थान पर की गई । यह घोषणा सनातन के संत पू. संजीव कुमार ने की ।
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रथम ग्रंथ ‘अध्यात्मशास्त्र’ से अधिक मात्रा में चैतन्य प्रक्षेपित हो रहा है, यह दर्शानेवाली वैज्ञानिक जांच !