पाकिस्तान के लाल मस्जिद में, युवतियों को दिया जा रहा है ईशनिंदा करने के आरोपी का सिर काटने का प्रशिक्षण !
क्या भारत के अधोगामी एव पुरोगामी इस विषय में बात करेंगे ? अथवा वो समझते हैं, कि यह सब कट्टरपंथियों के लिए क्षम्य है ?
क्या भारत के अधोगामी एव पुरोगामी इस विषय में बात करेंगे ? अथवा वो समझते हैं, कि यह सब कट्टरपंथियों के लिए क्षम्य है ?
पाकिस्तान ने उनके देश में अल्पसंख्यकों का विशेषत: हिन्दुओं का नरसंहार जो ७४ वर्षोंसे हो रहा हैं, उनकी रक्षा करने पर ध्यान देना चाहिए ! जिहादी आतंकवादी, जिहादी विचारधारा और प्रत्यक्ष कृति, यह वहां के अल्पसंख्यकों की जान ले रही है, इस संदर्भ में इमरान खान क्यों नहीं बोलते ?
‘भारत में, पाकिस्तान के समान, अन्य देशों के लोगों की ईशनिंदा के नाम पर अमानवीय हत्या नहीं होती !’, यह फवाद चौधरी क्यों नहीं बताते ?
ऐसे शासकोंवाले देश में निर्दोषों की हत्या नहीं होगी, तो क्या होगा ? इसे ध्यान में रखते हुए, विश्व समुदाय पाकिस्तान का बहिष्कार करे ; यही एकमात्र उपाय है ! कम से कम श्रीलंका और भारत को तो यह निर्णय लेना ही चाहिए !
यद्यपि यह एक विश्वविद्यालय है, किन्तु मंदिर की वार्षिक तीर्थयात्रा महाराजा प्रताप सिंह और रणबीर सिंह के शासनकाल के समय प्रसिद्ध हुई थी। १९४७ में विभाजन के उपरांत, तीर्थयात्रा बाधित हुई और मंदिर की उपेक्षा की गई।
विद्यालय में क्या पढाया जाता है, इस पर अब अभिवावकों को ही ध्यान देना पडेगा। पिछले ४०-५० वर्षों से विद्यालयों में ऐसी द्वेषयुक्त शिक्षा दी जा रही है। इस पर कोई भी प्रत्यक्ष विरोध नहीं व्यक्त करता !
पाकिस्तान को आतंकवादियों का पालन पोषण करने पर पैसा व्यय करने की अपेक्षा, सरकारी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करना चाहिए’ !
इस्लाम में दोषी को सीधे मृत्युदंड देने के कठोर दंड का प्रावधान होते हुए भी इस दंड का विरोध होना अनाकलनीय !
मुसलमानों के मतदान का अधिकार छीन लेने की भी मांग !
ऐसे लोगों पर शीघ्रगति न्यायालय में अभियोग चलाकर उन्हें फांसी का ही दंड दिया जाना चाहिए !