मणिपुर में राष्ट्रीय नागरिकता अधिनियम लागू करें ! – ‘कोकोमी’ की प्रधानमंत्री से मांग
बताया जाता है कि मणिपुर के हिंसाचार में म्यांमार से आए स्थलांतरितों का हाथ है । इसलिए सरकार को इस मांग की ओर गंभीरता से देखना आवश्यक !
बताया जाता है कि मणिपुर के हिंसाचार में म्यांमार से आए स्थलांतरितों का हाथ है । इसलिए सरकार को इस मांग की ओर गंभीरता से देखना आवश्यक !
जोडीदार के विवाह करने से मना करने पर सहमति से रखे गए शारीरिक संबंधों को बलात्कार नहीं कह सकते, यह सर्वोच्च न्यायालय ने इससे पहले ही स्पष्ट किया है ।
‘साधु-संतों को राजनीति की ओर देखना तक नहीं चाहिए । राजनीति में आने से सीमाएं आ जाती हैं । साधुओं को उनकी यात्रा असीम रखने की आवश्यकता है’ । ‘क्या आप राजनीति करेंगे ?’, यह प्रश्न पूछने पर उन्होंने ऐसा कहा ।
‘समान नागरिक कानून संसद में पारित होगा और वह सभी को स्वीकार करना ही पडेगा’, ऐसी भूमिका अब सरकार को लेनी चाहिए !
मूलतः मंदिरों का ‘व्यवस्थापन’ ठीक नहीं हैं, ऐसा कहकर सरकार द्वारा मंदिर नियंत्रित किए जाते हैं । तथापि मंदिर नियंत्रित करने के उपरांत मंदिर की भूमि भी सरकार नहीं संभाल पाती है । इसलिए उन पर अतिक्रमण होता है ! यह सरकार का कौनसा ‘आदर्श व्यवस्थापन’ है ? इसलिए मंदिर भक्तों के नियंत्रण में ही रहें, ऐसा कानून होना चाहिए !
उत्तराखंड में भाजपा सरकार का सराहनीय निर्णय। वास्तव में प्रत्येक राज्य को ऐसा कानून बनाने के स्थान पर केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर यह कानून लाना चाहिए, ऐसा राष्ट्र प्रेमी विचार करते हैं !
स्वयं को नास्तिकतावादी कहलवानेवाले द्रमुकवालों से इससे भिन्न और क्या अपेक्षा की जा सकती है ?
इटली जैसा देश यदि ऐसा कानून बनाने का प्रयास कर सकता है, तो भारत की १०० करोड से अधिक जनता को सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढने के कारण जो कष्ट होता है, वहां ऐसा कानून क्यों नहीं बनाया जा सकता ?
यहां रानी कमलापति रेलवे स्थानक से उन्होंने देश की ५ वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई ।
हिन्दुओं के अन्य पंथ में धर्मांतरण होने के कागदपत्र मिलते हैं; परंतु हिन्दू धर्म में ‘घरवापसी’ करने के कागदपत्र अधिकतर नहीं मिलते; इसलिए कागदपत्रीय जानकारी इकट्ठा करने का महत्त्व होता है ।