सप्तर्षियों के बताए अनुसार वर्ष २०२० और २०२१ की गुरुपूर्णिमा में पूजन किए गए चित्रों के संदर्भ में सद्गुरु डॉ. गाडगीळजी को हुई अनुभूति !

वर्ष २०२१ की गुरुपूर्णिमा में सप्तर्षियों के बताए अनुसार चित्र बनाकर उसका पूजन रामनाथी आश्रम में किया गया । उस चित्र की ओर देखकर मुझे हुई अनुभूति इस लेख में दी है ।

सनातन की गुरुपरंपरा !

कुलार्णवतन्त्र, उल्लास १४, श्लोक ३७ के अनुसार मादा कछुआ केवल मन में चिंतन कर भूमि के नीचे रखें अंडों को उष्मा देती है, बच्चों को बडा करती है और उनका पोषण करती है, उसी प्रकार गुरु केवल संकल्प द्वारा शिष्य की शक्ति जागृत करते हैं तथा उसमें शक्ति का संचार करते हैं ।

‘आपातकाल’ भी भगवान की एक लीला होने के कारण परात्पर गुरु डॉक्टरजी, श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के चरणों में शरणागत होकर आपातकाल का सामना करें !

वर्तमान आपातकाल में साधक अनेक स्तरों पर संघर्ष कर रहे हैं । कोई पारिवारिक, कोई सामाजिक, कोई आर्थिक, कोई शारीरिक, कोई मानसिक, तो कोई बौद्धिक संघर्ष कर रहा है !

अध्यात्म की श्रेष्ठता !

‘विज्ञान माया संबंधी विषयों में शोध करता है; जबकि अध्यात्म में ईश्वर, ब्रह्म इत्यादि के विषय में शोध किया जाता है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

जनता के लिए कुछ न करनेवालों को शासनकर्ता के रूप में चुननेवाली जनता ही आज की स्थिति का कारण है !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सभी क्षेत्रों में देश की दयनीय स्थिति होने का कारण !

जैसे जो डॉक्टर ना हो वह रोगी पर उपाय करे; उसी प्रकार राष्ट्र और धर्म के प्रति प्रेम रहित जनता को, राष्ट्र और धर्म के प्रति प्रेम रहित राजनीतिक दलों को चुनने का अधिकार देने के कारण सभी क्षेत्रों में देश की दयनीय स्थिति हो गई है !’ – (परात्पर गुरु) डॉक्टर आठवले

हिन्दुओं के गोप्रेमी पूर्वज !

‘कहां एक गाय की रक्षा के लिए प्राण त्यागनेवाले हिन्दुओं के पूर्वज, और कहां लाखों गायों को पशुवधगृह में भेजनेवाले आज के हिन्दू !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. अठावले

‘आपातकाल से पूर्व ग्रंथों के माध्यम से अधिकाधिक धर्मप्रसार हो’, इस कार्य में लगन से सम्मिलित होनेवालों पर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की अपार कृपा होगी !

ग्रंथकार्य में सम्मिलित होने की इच्छा रखनेवाले, ग्रंथनिर्माण की सेवा करनेवाले, ग्रंथों का प्रसार करनेवाले, ग्रंथों के लिए अर्पण संकलित करनेवाले एवं ग्रंथों का वितरण करनेवाले सभी को साधना का यह अपूर्व स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ है ।