युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायी ग्रंथकार्य की ध्वजा फहराते रखने हेतु ग्रंथनिर्मिति की सेवा में सम्मिलित हों !

जिन्हें समाज में जाकर समष्टि साधना करना संभव नहीं है, वे घर पर रहकर संकलन एवं भाषांतर की सेवाएं भी कर सकते हैं । ग्रंथों से संबंधित सेवा करना भी परिणामकारी समष्टि साधना है ।

अक्षय तृतीया के उपलक्ष्य में सर्राफा दुकानदारों को अपने ग्राहकों को भेंट के रूप में सनातन के ग्रंथ तथा लघुग्रंथ देने के लिए प्रेरित करें ! 

‘ग्राहकों को सनातन के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ भेंट देने पर सराफी दुकानदारों से व्यवसाय के साथ राष्ट्र एवं धर्म की सेवा भी होगी’, अतः साधक उन्हें प्रवृत्त कर सकते हैं ।

देवताओं के विषय में सनातन के लघुग्रंथ

श्रीविष्णु का कार्य एवं विशेषताएं क्या हैं ? श्रीविष्णु को तुलसी क्यों अर्पित करते हैं ? ये जानने के लिए अवश्य खरीदे लघुग्रंथ ” श्री विष्णु”

सनातन की सर्वांगस्पर्शी ग्रंथसंपदा

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की सिद्ध लेखनी से साकार हुए सनातन के ग्रंथ चैतन्यमय ज्ञान का भंडार है ! ये ग्रंथ केवल स्पर्श से लोहे को सोना बनानेवाले पारस के समान हैं; क्योंकि ग्रंथों में दी गई सीख के अनुसार आचरण करने से अनेक लोगों के जीवन में आमूल परिवर्तन हो रहे हैं !

सनातन संस्था के कार्य हेतु ज्ञानबल एवं चैतन्यबल की आपूर्ति करनेवाली सनातन की ग्रंथसंपदा !

सनातन के ग्रंथों में दिए ज्ञानामृत का कार्यान्वयन कर १.२.२०२४ तक १२२ साधकों ने ‘संतपद’ प्राप्त किया है तथा १,०५४ साधक ‘संतपद’ प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हैं । सनातन के अनेक संत एवं उन्नत साधक धर्मप्रचारक के रूप में सेवारत हैं ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित ग्रंथों में समाहित लेखन के प्रकार ‘मेरे द्वारा संकलित ग्रंथों में निम्न ३ प्रकार का लेखन है –

साधना आरंभ करने पर ‘ध्यान से उत्तर मिल सकते हैं’, यह ज्ञात होने पर मैं मेरी अधिकतर शंकाओं के उत्तर ध्यान से प्राप्त करता था । उसके कारण सूक्ष्म स्तर का वह ज्ञान पृथ्वी पर उपलब्ध किसी भी ग्रंथ में नहीं है ।

इंदौर तरुण जत्रा प्रदर्शन में सनातन संस्था की ओर से अध्यात्मप्रसार !

इस मेले में सनातन संस्था की ओर से धर्म, अध्यात्म, बालसंस्कार आदि विभिन्न विषयों पर ग्रंथों की प्रदर्शनी लगाई गई । अनेक इंदौरवासियों ने इसका लाभ लिया ।

शिवजी की उपासना भावपूर्ण एवं शास्त्रोक्त पद्धति से सिखानेवाले सनातन के ग्रन्थ !

देवता की उपासना का शास्त्र समझ में आने पर देवता की उपासना संबंधी श्रद्धा बढती है । श्रद्धा से उपासना भावपूर्ण होती है एवं भावपूर्ण उपासना ही अधिक फलदायी होती है । इसके लिए यह ग्रन्थमाला पढें !

युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायक ग्रंथकार्य की ध्वजा फहराते रहने हेतु ग्रंथ-निर्मिति की सेवा में सम्मिलित हों !

ग्रंथसेवा के अंतर्गत संकलन, अनुवाद, संरचना, मुखपृष्ठ-निर्मिति, ग्रंथों की छपाई से संबंधित सेवाएं आदि विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित होने हेतु इच्छुक युवक अपनी जानकारी सनातन के जिलासेवकों के माध्यम से भेजें ।