युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायी ग्रंथकार्य की ध्वजा फहराते रखने हेतु ग्रंथनिर्मिति की सेवा में सम्मिलित हों !
जिन्हें समाज में जाकर समष्टि साधना करना संभव नहीं है, वे घर पर रहकर संकलन एवं भाषांतर की सेवाएं भी कर सकते हैं । ग्रंथों से संबंधित सेवा करना भी परिणामकारी समष्टि साधना है ।