धर्म, धर्मनिरपेक्षता एवं संविधान !

भारत स्वयंभू हिन्दू राष्ट्र है ही; परंतु संविधान द्वारा यह घोषित होना आवश्यक है !

चीनी (फेंगशुई) वास्तुशास्त्र अच्छा अथवा भारतीय वास्तुशास्त्र श्रेष्ठ ?

भारतीय वास्तुशास्त्र में निश्चित नियम हैं । ये नियम किसी भी व्यक्ति, कुटुंब एवं घर के लिए समान रूप से ही लागू हैं । पुन: पुन: रचना में परिवर्तन करने की थोडी भी आवश्यकता नहीं । ‘अच्छे अथवा अनिष्ट परिणाम किस कारण होते हैं ?’, यह भी स्पष्ट रूप से बताया है ।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के निमित्त : भगवान श्रीकृष्ण की उपासना

हमारे उपास्यदेवता की विशेषता तथा उनकी उपासना से संबंधित अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी ज्ञात होने पर देवता के प्रति श्रद्धा निर्माण होती है । यह उद्देश्य ध्यान में रखकर इस लेख में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के निमित्त श्रीकृष्ण भगवान की कुछ विशेषताएं तथा उनकी उपासना से संबंधित उपयुक्त अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी दी जा रही है ।

सनातन के ‘रासलीला’ ग्रंथ में राधा द्वारा श्रीकृष्ण को प्रार्थना के रूप में किया आत्मनिवेदन तथा श्रीकृष्ण द्वारा उत्तर के रूप में किया उनका मार्गदर्शन ! मार्गदर्शन पढने पर ईश्वर की कृपा से साधिका को सूझे सूत्र

परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने साधकों को ‘गुरुकृपायोग’ का साधनामार्ग बताकर ‘ईश्वरप्राप्ति’ का ध्येय दिया, जिससे साधक उनमें नहीं अटकते

‘ज्योतिषशास्त्र को अन्य भारतीय शास्त्रों से जोडना’ इस शोध में सहभागी होने के लिए ज्योतिषशास्त्र के अध्ययनर्ताओं के लिए स्वर्णिम अवसर !

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से ज्योतिषशास्त्र में शोधकार्य आरंभ है । उसके अंतर्गत ज्योतिषशास्त्र को अन्य भारतीय शास्त्रों से (वास्तुशास्त्र, आयुर्वेद, संगीत, मंत्रशास्त्र इत्यादि से) जोडनेवाला शोधपरक अध्ययन करना है |

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के अंतर्गत ‘वास्तुओं की सात्त्विकता का अध्ययन’, इससे संबंधित शोधकार्य में सम्मिलित हों !

वर्तमान काल में समाज में वास्तुशास्त्र बहुत ही प्रचलित है । प्रत्येक व्यक्ति को लगता है कि अपना घर वास्तुशास्त्र के अनुसार होना चाहिए । घर में वास्तुदोष हों, तो वहां निवास करनेवालों पर उसके विपरीत परिणाम होते हैं ।

सनातन के ‘देवताओं की उपासना’ ग्रन्थमाला के ग्रन्थ

श्रीकृष्ण के विविध नाम और उनका अर्थ, श्रीकृष्ण की गुण-विशेषताएं और कार्य इस संदर्भ मे पढिये ‘श्रीकृष्ण (लघुग्रन्थ)’ में

अम्ल पित्त (एसिडिटी) के कष्ट से बचने के लिए जीवन शैली में परिवर्तन करना अत्यावश्यक

यहां सबसे महत्त्वपूर्ण सूत्र है, रुग्ण अपने आहार-विहार में कोई परिवर्तन नहीं करता । इस कारण अम्ल पित्त का कष्ट बार-बार होता रहता है । आरंभ में पित्त बढानेवाला आहार लेने से ही अम्ल पित्त का कष्ट होता है । कुछ समय पश्चात कुछ भी खाने से अम्ल पित्त निर्मित होने लगता |

रात्रि में सोते समय नाभि में घी की कुछ बूंदें डालने से होनेवाले लाभ

नाभि शरीर का केंद्र बिंदु होने से वहां अन्य अवयवों को जोडकर रखनेवाले बिंदुदाब के अनेक बिंदु (एक्यूप्रेशर पॉईंट्स) होते हैं । इसलिए नाभि में कुछ बूंद घी डालकर मसाज (मालिश) करने से जोडों का दर्द भी दूर हो सकता है ।

हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. आनंद जाखोटिया द्वारा प्रखर राष्ट्रवादी वक्ता काजल हिंदुस्तानी की भेंटवार्ता

प्रखर राष्ट्रवादी वक्ता काजल हिंदुस्तानी जी एक मशाल यात्रा हेतु यहां पधारी थीं । इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. आनंद जाखोटिया ने उनसे भेंट कर उन्हें समिति के धर्मशिक्षा एवं हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य के विषय में अवगत कराया ।