आज का काल रज-तमप्रधान होने के कारण प्रसाद स्वरूप प्राप्त वस्तुओं की शुद्धि करने के उपरांत ही उनका उपयोग करना उचित !

देवालय में श्रद्धालु भगवान का भक्तिभाव से दर्शन करते हैं । देवालय के पुजारी कभी-कभी प्रसाद के रूप में कुछ वस्तुएं देते हैं, उदा. भगवान को अर्पण की गई मालाएं, वस्त्र इत्यादि । भगवान को अर्पित वस्तुओं में चैतन्य होता है ।

सात्त्विक उत्पादों से संबंधित सेवाओं के लिए साधकों की तुरंत आवश्यकता !

देवद (पनवेल) स्थित सनातन के आश्रम में सेवा का सुनहरा अवसर !

शब्द रहित एवं शब्द सहित संवाद से ‘श्री गुरु का मनोगत’ जान लेनेवालीं तथा ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी को अपेक्षित कृति करनेवालीं श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी !

‘सप्तर्षियों ने जीवनाडीपट्टिका में बताया, ‘जब श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी परात्पर गुरु डॉक्टरजी से साधकों की साधना के विषय में बात करती हैं, उस समय गुरुदेवजी कभी-कभी हाथ हिलाकर अथवा मुख पर निहित भाव से उन्हें उत्तर देते हैं ।’

‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी ईश्वर स्वरूप तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी परमेश्वर स्वरूप हैं’, इसकी साधिका को हुई प्रतीति !

मुझे सदैव ही अपना नाम ‘परमेश्वर की आरती’, ऐसा लिखने की आदत है । मुझे मन से भी ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी परमेश्वर हैं तथा मैं उस परमेश्वर की हूं’, ऐसा ही लगता रहता है

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी की आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण !

‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी हैं । उन्होंने गुरुकृपायोग अनुसार साधना कर अल्प काल में शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति साध्य की । उनकी जन्मकुंडली में विद्यमान आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण आगे दिया गया है ।

गुरुरूप में साक्षात श्रीविष्णु प्राप्त होने के कारण समर्पित होकर साधना के प्रयास करें !

साधना के विषय में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी की अनमोल वैचारिक संपदा !

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ही सबकुछ करवा लेते हैं’, इस अटूट श्रद्धा से युक्त श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी !

‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी को गुरुकार्य तथा ‘साधकों की आध्यात्मिक उन्नति हो’, इसकी अखंड उत्कंठा रहती है । उनका साधकों को लगन से मार्गदर्शन कर तैयार करना तथा साधकों को साधना में स्थिर करना निरंतर चलता रहता है ।

उत्पादों पर छपे देवताओं के चित्र अथवा शुभचिन्हों का अनादर न हो, इसलिए उन्हें कहीं भी न फेंकते हुए उनका अग्नि विसर्जन करें !

देवताओं के चित्रों तथा उनके नाम में उनकी शक्ति कार्यरत होती है । हमारे देवताओं तथा श्रद्धास्रोतों का इस प्रकार अपमान न हो, इसलिए सभी का सतर्क रहना आवश्यक है । ऐसी वस्तुओं का उपयोग करने के उपरांत, उस वस्तु पर बने देवताओं के नाम के ‘स्टिकर’ अथवा चित्र को अग्नि में विसर्जित करें ।

अपरिचित संपर्क क्रमांक से कोई संपर्क करे अथवा लघुसंदेश भेजे, तो स्वयं की आर्थिक हानि न हो; इसलिए सतर्क रहें !

हाल ही में कुछ अपरिचित व्यक्तियों द्वारा कुछ साधकों एवं पाठकों को चल-दूरभाष से लघु संदेश (एस.एम.एस.) भेजकर ‘आप… व्यक्ति से परिचित हैं क्या ?’, ऐसा पूछकर उस व्यक्ति के विषय में अनावश्यक जानकारी प्राप्त करना अथवा साधक एवं पाठक के मन में भ्रम निर्माण करने का प्रयास किया जा रहा है ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘सुख पाने से जुडी सभी बातें सिखानेवाले माता-पिता और सरकार बच्चों को अच्छा एवं सात्त्विक कुछ नहीं सिखाते । इस कारण देश दुर्दशा की उच्चतम सीमा तक पहुंच गया है । इसका एक ही उपाय है और वह है हिन्दू राष्ट्र की स्थापना !’